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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि आयुर्वेद के 14 प्रोडक्ट पर लगी रोक, आज फिर कोर्ट में सुनवाई

देहरादून। सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद राज्य सरकार ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी है। भ्रामक विज्ञापन जारी करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद हरिद्वार जिले के ड्रग इंस्पेक्टर और जिला आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी की संस्तुति पर यह रोक लगी है। इस आदेश से पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड में हड़कंप मचा है। इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। इससे पहले इस कार्रवाई को अधिकार अपने बचाव में मान रहे हैं।

गौरतलब है कि बाबा राम देव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार कर दिया था। मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। इस मामले में बाबा ने कोर्ट में माफी भी मांगी है। लेकिन कोर्ट माफी के बाद भी नहीं माना है। बाबा रामदेव ने करीब 67 समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित किया गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक खबर की तुलना में इसे काफी कम बताया है। ऐसे में कोर्ट ने साफ कहा कि जितने साइज में भ्रामक प्रचार किया गया, उसी साइज में माफीनामा भी प्रकाशित किया जाए। चूंकि आज मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार की मशीनरी भी हरकत में आ गई है। राज्य की मशीनरी ने अपने बचाव में पतंजलि आयुर्वेद लि. के 14 उत्पादों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। रोक पतंजलि के उत्पाद दृष्टि आई ड्रॉप से लेकर मधुनाशिनी वटी जैसे उत्पाद भी शामिल हैं। रोक के आदेश हरिद्वार जिले के ड्रग इंस्पेक्टर और जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी किए गए हैं। इस आदेश के अनुसार पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की दृष्टि आई ड्रॉप, स्वासरि गोल्ड, स्वासरि वटी, ब्रोंकोम, स्वासरि प्रवाही, स्वासरि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड जैसे उत्पादों पर रोक लगा दी है।इसका हलफनामा भी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करते हुए कहा कि भ्रामक विज्ञापनों के मामले में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की दिव्य फार्मेसी के अंतर्गत बनने वाले 14 उत्पादों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। विभाग के आदेश में कहा गया है कि पतंजलि आयुर्वेद के विभिन्न उत्पादों को लेकर विभिन्न माध्यम से निरंतर भ्रामक विज्ञापन जारी किए जाने की शिकायत मिल रही थी। इस संबंध में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार नोटिस भी जारी किए। यह कार्रवाई ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1945 की धारा 159(1) के प्रावधानों के अंतर्गत की गई है। इसके बाद भी कंपनी से शर्तों का निरंतर उल्लंघन किया जा रहा था। जो नोटिस पतंजलि को को जारी किए जा रहे थे, उनका जवाब भी प्राप्त नहीं हो रहा था। साथ ही भ्रामक विज्ञापन भी जारी किए जाते रहे। लिहाजा, कंपनी को आदेश दिया जाता है कि वह उल्लिखित उत्पादों का निर्माण तत्काल प्रभाव से बंद कर दें। इसके साथ ही आदेश में पतंजलि और दिव्य फार्मेसी को उतपादों के मूल फॉर्म्यूलेशन शीट उपलब्ध कराने को कहा गया है। पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी को इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए 03 माह का समय भी दिया गया है। इधर, आज सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है। सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा गया है। अब देखना होगा कि कोर्ट इस मामले में आगे क्या रुख अपनाता है। बहरहाल, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की दशा ठीक नहीं चल रही है।

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