उत्तराखंडधार्मिक आयोजनलोकपर्व

उत्तराखंड में यहां “हलुवा वीर” ने विधायक और डीएम को कंडाली लगाकर दिया “आशीर्वाद”

देहरादून। उत्तरकाशी जिले की गाजणा पट्टी में हलुवा देवता का मेला दुनिया के अनूठे और अनोखे मेलों में शुमार है। यहां हलुवा देवता मेले में आये लोगों के दुःख दर्द का हरण करने को कई किलो बाड़ी ( दूध, मक्खन और मोटे अनाज से बने हलुवा) का भोग सेवन कर कंडाली (बिच्छु घास) से सुख , समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देता है। लोग भी देवता को बाड़ी का हलुवा का भोग लगाकर कंडाली के प्रसाद लेने को आतुर रहते हैं। इस बार मेले में गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान और डीएम अभिषेक रुहेला भी शामिल हुए तो देवता ने विधायक और डीएम को कंडाली लगाकर प्रसाद के रूप में अपना आशीर्वाद दिया है।

उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है। यहां आज भी अनूठी लोक परंपराएं देखने को मिल जाती है। ऐसी ही एक अद्भुत लोक परंपरा इन दिनों गाजणा पट्टी (उत्तरकाशी जिले) के चौडियाट गांव, दिखोली, सौड़, लोदाडा और भेटियारा गांव में देखने को मिल रही है। दरअसल, यहां क्षेत्र के प्रसिद्ध हलुवा देवता का तीन साला (तीन साल बाद) मेला चल रहा है। इस मेले की अनूठी परंपरा यह है कि मेले में देव डोलियों और निशान का भव्य नृत्य के बाद सीटियां बजाने और शोरगुल से अवतरित होने वाले हलुवा देवता के दर्शन अद्भुत और अकल्पनीय है। पशुवा पर अवतरित हलुवा देवता मेले में उमड़ी भीड़ को आशीर्वाद देने से पहले लोगों द्वारा दूध, घी, मक्खन के साथ मोटे अनाज से बने कई किलो बाड़ी हलुवा को केले के पत्ते पर बिना हाथ लगाए सीधे मुहं लगाकर सेवन करता है।

इस दौरान हलुवा के साथ कई किलो दही, दूध और कच्चे चावल भी हलुवा वीर के मुहं में डाले जाते हैं। इसके पीछे किवदंती है कि हलुवा वीर यानी हलुवा देवता लोगों के दुःख, दर्द और कष्टों का हरण कर अपने ऊपर लेता है। इसलिए मेले में देश-प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग यहां दर्शन को उमड़ते हैं। क्षेत्र के  प्रधान मुरारी लाल, क्षेत्र पंचायत दीपक नौटियाल, गोविंद सिंह, कुशालमणि नौटियाल आदि बताते हैं कि तीन साल बाद आने वाला हलुवा देवता के मेले का उन्हें बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। मेले में देश-प्रदेश से लोग घर गांव लौटते हैं। हलुवा देवता की पूजा अर्चना करने के साथ ही अपनी मन्नतें मांगते हैं।

गुरु चौरंगीनाथ का वीर है हलुवा

धार्मिक मान्यता है कि गुरु चौरंगीनाथ का वीर हलुवा देवता है। यही कारण है कि चौरंगी देवता के सानिध्य में यह मेला होता है। चूंकि चौरंगी देवता क्षेत्र का ईष्ट देवता है। ऐसे में गाजणा पट्टी के इन गांव में चौरंगी देवता, तामेश्वर महादेव, होणेश्वर देवता, हरि महाराज आदि की डोली और निशान इस मेले में शामिल होते हैं। लेकिन मेले की पहिचान गुरु चौरंगीनाथ के वीर हलुवा से ही होती है। यही कारण है कि चौरंगी देवता और हलुवा वीर पर आस्था रखने वाले लोग इस मेले में जरूर शामिल होते हैं।

मेले का संवर्द्धन करेगी सरकार

गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने कहा कि हलुवा मेला राज्य के प्रमुख मेलों में शुमार होगा। इसके लिए वह सरकार से अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि मेले को अगले साल से भव्य रूप देने और पर्यटन से जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे। विधायक ने क्षेत्र के लोगों को मेले की शुभकामनाएं देते हुए हलुवा देवता से जनपद और राज्य की खुशहाली की मन्नतें मांगी।

दुनियाभर में नहीं देखी ऐसी अनूठी परंपरा

उत्तरकाशी के डीएम अभिषेक रुहेला कहते हैं कि लोक पर्व, देव पर्व तो बहुत देखे, लेकिन इस तरह का अनूठा और अद्भुत पर्व नहीं देखा। उन्होंने कहा कि मेले को पर्यटन से जोड़ने के लिए वह प्रस्ताव सरकार को सौंपेंगे। ताकि दुनिया के लोगों को इस आनोखी परंपरा के बारे में जानकारी मिल सके। उन्होंने संस्कृति और आस्था का यह पर्व देखने लायक है।

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