उत्तराखंडकाम की तारीफसरकार का फैसला

उत्तराखंड सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं के हितों को लेकर उठाया बड़ा कदम, हर ब्लॉक और जिले में लग रहे शिविर

देहरादून। सिर्फ बड़ी परियोजनाओं के निर्माण से ही सरकार के राजकाज और कामकाज की समीक्षा नहीं की जानी चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि सरकार आमजन के लिए कितनी सुलभता के साथ बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश में एक अच्छी पहल हुई है। आजकल ऊर्जा निगम के कर्मचारी mission mode में हैं। पूरे प्रदेश में विद्युत उपभोक्ताओं के समस्याओं के समाधान के लिए जगह–जगह कैंप लगाए जा रहे हैं। संबंधित जेई से लेकर चीफ इंजीनियर रैंक के अफसर इन कैंपों में मौजूद रहकर कंज्यूमर्स की शिकायतों को हल कर रहे हैं।

बीते 23 जनवरी से शुरू हुए ये कैंप पूरे फरवरी माह तक जारी रहेंगे। प्रत्येक विकास खण्ड में कम से कम 7–8 कैंप आयोजित किए जाएंगे। पिछले 5 दिनों के दौरान अब तक राज्य में 278 कैंपों का आयोजन किया जा चुका है, जिनमें मिलीं हजारों शिकायतों (बिजली के बिलों में गड़बड़ी, खराब मीटर, लो वोल्टेज, ट्रांसफार्मर आदि) में से अधिकांश का तत्काल निस्तारण किया जा रहा है। इन शिविरों की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विकासखण्ड स्तर पर आयोजित किए जा रहे कैंपों की सीधी मॉनिटरिंग ऊर्जा भवन देहरादून से की जा रही है। निगम के एमडी अनिल कुमार रोजाना अपडेट ले रहे हैं। डायरेक्टर ऑपरेशन एमएल प्रसाद को इस अभियान की कमान सौंपी गई है। निगम के अधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई है कि शिविर में दर्ज की जा रही शिकायतों का समयबद्ध समाधान किया जाए। अभियान की एक फाइनल रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भी सौंपी जाएगी। यह पहला मौका है जब ऊर्जा निगम पूरे राज्य में एक साथ उपभोक्ताओं की शिकायतों का तत्काल समाधान कर रहा है।
विद्युत शिविरों में समय पर बिल भुगतान और बिजली के अनाधिकृत प्रयोग को रोकने के लिए जनता को भी जागरूक किया जा रहा है। एक हकीकत यह भी है कि मौजूदा समय में उत्तराखण्ड में बिजली की खपत और उपलब्धता में तकरीबन 4 गुने का फर्क है। रोजाना जरूरत 39 मिलियन यूनिट की है जबकि इसके सापेक्ष उत्पादन महज 10 मिलियन यूनिट के आसपास है। ऐसी स्थिति में समय पर बिल जमा करके और बिजली चोरी रोककर जनता भी प्रदेश को किभी प्रकार के विद्युत संकट से बचाने में अपना योगदान दे सकती है।
इधर, राज्य में ठिठुरती ठंड के बीच बिजली की उपलब्धता में भारी कमी आ गई है। नदियों का जल स्तर घटने से जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन भी आधा हो गया है। केंद्र से मिल रही 17 मिलियन यूनिट बिजली को मिलाकर प्रतिदिन उपलब्धता 27 मिलियन यूनिट ही पहुंच रही है, बाकी 10 से 12 मिलियन यूनिट बाहरी राज्यों से खरीदनी पड़ रही है। इन तमाम परिस्थितियों के बीच सरकार का प्रयास है कि जनता को निर्बाध विद्युत आपूर्ति हो और उपभोक्ताओं की समस्याएं भी समय रहते हल हों। इसके लिए मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को खुद जनता के दरवाजे पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। आम लोग भी राज्य सरकार की इस पहल की सराहना कर रही है।

(वरिष्ठ पत्रकार दीपक फर्सवाण जी की वॉल से)

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