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उत्तराखंड: भाजपा ने प्रचार में झोंकी पूरी ताकत, कांग्रेस ने निभाई सिर्फ औपचारिकता

-भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट को दिया तव्वजो
-कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने सिर्फ प्रियंका गांधी और सचिन पायलट को भेज कर निभाई औपचारिकता
-कांग्रेस के राज्य स्तरीय नेता भी नहीं पहुंचे पाए अधिकांश विधानसभा तक
-मुख्यमंत्री धामी सरकार और भाजपा संगठन के बीच चुनाव में दिखा बेहतर समन्वय

देहरादून। उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर हुए चुनावी प्रचार से जीत-हार का आंकलन करना तो मुश्किल है। लेकिन प्रत्याशियों से लेकर मतादाताओं के पक्ष में भाजपा का प्रचार तंत्र बेहद मजबूत दिखा। जबकि राज्य की राजनीति में हाशिये पर चल रही कांग्रेस ने पांचों लोकसभा सीट पर प्रचार में सिर्फ औपचारिकता भर निभाई है। खासकर भाजपा ने जहां पांच लोकसभा सीटों पर प्रधानमंत्री से लेकर 10 बड़े राष्ट्रीय स्टार प्रचारक आमंत्रित कर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाया है,  वहीं, कांग्रेस के दो स्टार प्रचारकों ने देवभूमि में उपस्थिति दर्ज कराते हुए सिर्फ औपचारिकता निभाई है। चुनाव प्रचार के इन तौर तरीकों से राज्य में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है।

राज्य में लोकसभा की पांच सीटों के लिए कल यानी 19 अप्रैल को मतदान होगा। ऐसे के गत दिवस 48 घण्टे पहले प्रचार थम गया था। इसके बाद घर घर जनसंपर्क और सोशल मीडिया के माध्यम से पार्टी और प्रत्याशी आचार संहिता के दायरे में रहकर प्रचार कर रहे हैं। लेकिन अब तक राज्य में हुए चुनाव प्रचार पर नज़र डालें तो भाजपा ने जिस गंभीरता से चुनाव में प्रचार किया है, उससे आधे तक भी कांग्रेस नहीं पहुंच पाई है। भाजपा ने राज्य के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली कर छोटे राज्य के मतदाताओं के सम्मान का बड़ा संदेश दिया है। इसके अलावा भाजपा की टॉप फाइव केंद्रीय लीडरशिप और स्टार प्रचारकों में शामिल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जैसे कद्दावर नेताओं ने कई जनसभाएं कर देवभूमि के अंतिम मतदाता का सम्मान कर चुनाव में हर वर्ग को साधने की कोशिश की है। इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने 70 विधानसभाओं में करीब डेढ़ से ज़्यादा जनसभाएं, रोड शो, कार्यकर्ता मिलन कार्यक्रम और जनसंपर्क कर सरकार की उपलब्धियों और विकास के वायदों पर वोट मांगे।

मुख्यमंत्री धामी ने की 86 जनसभाएं

लोकसभा चुनाव से पहले यानी जनवरी माह से अब तक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में 86 जनसभाएं, रोड शो, कार्यकर्ता मिलन कार्यक्रम और जनसंपर्क अभियान में प्रतिभाग कर पार्टी प्रत्याशियों की जीत को चुनावी मोर्चे पर अंतिम दिन तक डटे रहे। मुख्यमंत्री धामी ने एक दिन में 3 से 4 रिकॉर्ड कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर सरकार और संगठन में समन्वय की मिसाल कायम की है। इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी और संगठन के बीच बेहतर समन्वय का परिणाम है कि केंद्रीय नेतृत्व ने भी राज्य की पांचों लोकसभा सीट पर गंभीरता से प्रचार किया है।

कांग्रेस के दो स्टार प्रचारकों ने निभाई जिम्मेदारी

इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस शुरुआत से ही सरेंडर की स्थिति में दिखी। प्रमुख विपक्षी पार्टी के बावजूद कांग्रेस के प्रचार की बात करें तो केंद्रीय नेतृत्व ने पहले टिकट बंटवारे में देरी, फिर प्रचार में औपचारिक भर जिम्मेदारी निभाने का काम भी पूरा नहीं किया है। कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की लंबी सूची तो जारी की, लेकिन राज्य में एंट्री सिर्फ प्रियांक गांधी और अंतिम दिन सचिन पायलट की हुई। प्रियांक की दो लोकसभा सीट पर चुनावी जनसभा कर कांग्रेस ने प्रचार की जिम्मेदारी की इतिश्री कर दी। जबकि सचिन ने एक जनसभा कर औपचारिकता निभाई। अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने यहां कदम तक नहीं रखा। राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपने बेटे की हरिद्वार सीट से बाहर नहीं निकल पाए। हालांकि, कुछ स्थानों पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक प्रीतम सिंह और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने जरूर उपस्थिति दर्ज कराई। ऐसे में अंदाज लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने ये लोकसभा चुनाव कितनी गंभीरता से लड़ा और कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष देवभूमि के मतदाताओं का कितना सम्मान है।

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