पीएम के कुशल नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक मानकों पर की सराहनीय प्रगति

देहरादून। यू -सैक द्वारा विकसित भारत 2047 के निर्माण हेतु हिमालयीय राज्यों के परिप्रेक्ष्य मे अंतरिक्ष प्रौधोगिकी एवं उसके अनुप्रयोगों पर राज्य स्तरीय अंतरिक्ष सम्मेल का आयोजन इसरो के सहयोग से किया गया। हिमालयीय राज्यों के परिप्रेक्ष्य मे अंतरिक्ष प्रौधोगिकी एवं उसके अनुप्रयोगों के विषय पर एक दिवासिय राज्य स्तरीय अंतरिक्ष सम्मेल का आयोजन मुख्यमंत्री आवास कार्यालय मे स्थित मुख्य सेवक सदन मे किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अत्यंत हर्ष हो रहा है कि उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से उत्तराखण्ड राज्य, तथा उत्तर-पश्चमी हिमालयी राज्यों (उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख) का प्रतिनिधित्व करते हुए, विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेत्रत्व मे भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक मानकों पर सराहनीय प्रगति की है। ’ उत्तराखण्ड केवल एक राज्य नहीं, बल्कि यह प्रकृति, संस्कृति और संभावनाओं की भूमि है। यह क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से जितना संवेदनशील है, उतना ही सामरिक, वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। और ऐसे परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। आज जब हम 2047 के विकसित भारत की कल्पना करते हैं, तो हमारे लिये स्मार्ट योजना, सटीक जानकारी और प्रौद्योगिकी-संचालित विकास की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। इस दिशा में अंतरिक्ष विज्ञान की उपलब्धियाँ-जैसे रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट मैपिंग, संचार तकनीक और मौसम पूर्वानुमान-उत्तराखण्ड जैसे राज्य के लिए वरदान है। चाहे आपदा प्रबंधन की बात हो, कृषि और जल संसाधन की निगरानी हो, या फिर चारधाम यात्रा जैसी योजनाओं का स्मार्ट संचालन- अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हमारे निर्णयों को वैज्ञानिक आधार देती है। उत्तराखण्ड जैसे अग्रणी हिमालयी राज्य के लिए यह सम्मेलन एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहल है, मैं राज्य सरकार की ओर से इसरो से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि मौसम परिवर्तन, तापमान वृद्धि, ग्लेशियरों के पिघलने, और जल संकट जैसे अत्यंत गंभीर मुद्दों पर हिमालयी क्षेत्रों में विशेष कार्य करें। मुझे विश्वास है कि इस सम्मेलन के माध्यम से एक ठोस रूपरेखा तैयार होगी, जिसके द्वारा हिमालयी राज्यों में भावी परियोजनाओं का क्रियान्वयन पारदर्शी, वैज्ञानिक एवं प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। यह पहल ‘विकसित भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। मुख्यमंत्री ने अपेक्षा की कि कि हर ब्लॉक स्तर पर अंतरिक्ष तकनीक आधारित भू-सूचना प्रणाली को लागू किया जाए, शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों में स्पेस टेक्नोलॉजी के प्रशिक्षण और स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाए, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों को कृषि, वन, जल और पर्यटन क्षेत्र में गहराई से जोड़ा जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जानकर भी हर्ष हुआ कि देश का पहला क्षेत्रीय स्पेस सम्मेलन आज उत्तराखंड मे आयोजित हो रहा है, जिसे मनन, चिंतन और मंथन- इन तीन सत्रों में आयोजित किया जा रहा है। इन सत्रों से जो अमृततुल्य बिंदु निकलेंगे, उन्हें 22 व 23 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन में प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। अंत में मुख्यमंत्री ने शुभांशु शुक्ला को अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन मे पहुँचने और अंतरिक्ष में एक सफल उड़ान के बाद अब वहाँ विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों में जुटने पर इसरो अध्यक्ष एवं टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह देश्वसियों के लिए बड़े गौरव कि बात है ।
इससे पूर्व मुख्य सचिव अन्नद वर्धन जी ने कहा कि यह अंतरिक्ष सम्मेलन सम्पूर्ण हिमालयीय क्षेत्र के लिए शुशासन, सेवा का समावेशी आधार बनेगा। यह क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील है जिसमे भूस्खलन,पर्यावरणीय गतिविधियां, जलश्रोतो कि पहचान इत्यादि के लिए अंतरिक्ष परोधयोगिकी तकनीक कारगर सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि इसरो कि तकनीकी सहायता से हर जिले मे जिला विज्ञान केंद्रों कि स्थापना कि जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी रेखीय विभागों को अपने विभागों से संबंधित कार्ययोजनाओं मे अंतरिक्ष तकनीक के प्रभावी उपयोग हेतु, यू-सैक एवं इसरो का सहयोग लेना चाहिए ।
कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि इसरो के अध्यक्ष डॉ वी नारायणन ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि हिमालायीय राज्यों के लिए विकसित भारत 2047 के दृष्टांत मंथन एक अत्यंत प्रेरणादायक पहल है। गौरतलब है कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम वर्ष 1962 मे प्रारंभ हुआ था। तब किसी ने नहीं सोचा था कि अंतरिक्ष गतिविधिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। आज भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम वैश्विक मंच पर अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कर चुका है एवं राष्ट्रीय विकास मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज भारत 131 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर चुका है, और यह गौरवपूर्ण यात्रा उस प्रक्षेपण यान से शुरू हुई जिसमे देश कि माटी के सपूत डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जुड़े थे । बीते 50 वर्षों मे भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम- दूरसंचार ,टेलीमेदिशीन, आपदा प्रबंधन, प्रसारण आदि क्षेत्रों मे निरंतर राष्ट्र कि सेवा करता आ रहा है । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के कुशल निर्देशन मे हम एक विकसित राष्ट्र के रूप मे जाने जाएंगे वर्ष 2035 तक हम अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने कि ओर अग्रसर हैं । मुझे यकीन है कि उत्तराखंड भी एक विकसित राज्य के रूप मे स्थापित होगा।
कार्यशाला के स्वागत सम्बोधन मे सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नितेश झा ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत करते हुए यूसैक कि उपलब्धियों एवं यूसैक द्वारा किए गए कार्यों से अवगत कराते हुए कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं इसके अनुप्रयोग हमारे राज्य के लिए ही नहीं अपितु सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्रों के लिए परिवर्तनकारी संभावनाएं रखता है, जो कि वनों, हिमनदों और भूस्खलनों की उपग्रह आधारित निगरानी से लेकर बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक परिसंपत्तियों की भू-स्थानिक योजना तक, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी डेटा-संचालित, कुशल और पारदर्शी निर्णय लेने को सक्षम बना रही है। उत्तराखण्ड गवर्नमेंट एसेट मैनेजमेंट सिस्टम जैसी पहल, जो हाई-रिजॉल्यूशन सेटेलाईट इमेजरी व ए.आई/एम. एल. आधारित है, सरकारी विभागों की परिसंपत्तियों की निगरानी व प्रबंधन करने में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र यूसैक मे डेटा सेंटर कि स्थापना प्राथमिकता के आधार पर की जायेगी ।
इस अवसर पर एन.आर.एस,सी.-इसरो के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि , भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आम जनता से जोड़ने की परिकल्पना विभिन्न माध्यमों से साकार हो रही है, जिसमें सूचना एवं संचार, डिजिटल पेमेंट आदि आम जन जीवन में प्रचलित हैं | उन्होंने यू -सैक द्वारा पूर्व व वर्तमान में इसरो के साथ किए गए समस्त कार्यों को रेखांकित कर सराहा। यू-सैक के निदेशक प्रो. दुर्गेश पन्त ने इस अवसर पर सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए उत्तराखण्ड राज्य में स्पेस गैलरी के निर्माण व अन्तरिक्ष तकनीकी के आधुनिक तकनीकियों को इसरो के सहयोग से करने हेतु अपील की |
कार्यशाला के मंथन सत्र में चर्चा हेतु राज्य के 50 से अधिक विभागों को 08 विभिन्न थीमो में बांटा गया जिसमें प्रत्येक थीम का प्रतुतीकरण उपरांत परिचर्चा की गयी | नितेश झा, सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा ‘शहरी विकास तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी’, मीनाक्षी सुन्दरम, प्रमुख सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा ‘डेवलपमेंटल प्लानिंग’, शैलेष बगोली, सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा ‘जल संसाधन’, वी.के. सुमन, सचिव उत्तराखण्ड शासन द्वारा ‘आपदा प्रबंधन’ राहुल, सी.सी.ऍफ़ द्वारा ‘वन एवं पर्यावरण’, डॉ. नृपेन्द्र चौहान, निदेशक कैप, द्वारा ‘कृषि’, डॉ. अमित शुक्ला, सहायक निदेशक स्वास्थ्य ‘शिक्षा व स्वास्थ्य’ थीम पर प्रस्तुतीकरण कर सॅटॅलाइट डाटा व तकनीकी हेतु इसरो से सहयोग की अपील की। कार्यशाला का संचालन इसरो के वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ. समीर सरन व यू-सैक की वैज्ञानिक डॉ. सुषमा गैरोला द्वारा किया गया | कार्यशाला में इसरो से आये हुए वैज्ञानिकों, विषय विशेषज्ञों, रेखीय विभागों के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।