उत्तराखंडऐतिहासिक और पौराणिकजिम्मेदारी

ईगो को ठुकराकर युवाओं के बीच पहुंचे सीएम धामी, भरोसे का संदेश

देहरादून। उत्तराखंड के राजनीतिक–प्रशासनिक इतिहास में यह दुर्लभ क्षण माना जाएगा जब कोई मुख्यमंत्री आंदोलनरत युवाओं से सीधे संवाद करने के लिए उनके बीच पहुंचा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने न केवल प्रशासनिक हिचक और पर्सनल ईगो को दरकिनार किया, बल्कि युवाओं के साथ भरोसे का पुल बनाने का साहसिक कदम उठाया।

विगत एक सप्ताह से धरना दे रहे युवाओं के बीच मुख्यमंत्री के पहुंचने को लेकर प्रशासन की हिचकिचाहट स्वाभाविक थी। आमतौर पर ऐसे तनावपूर्ण हालातों में दोनों पक्षों के ईगो अधिक हावी हो जाते हैं। उत्तराखंड में अतीत में भी कई मामले देखे गए हैं जहां अहंकार के कारण संवाद टूट गया और विवाद बढ़ गया। लेकिन सीएम धामी ने इस विषय पर पहले दिन से ही संतुलित रुख अपनाया, जिसके कारण न तो बल प्रयोग की आवश्यकता पड़ी और न ही आरोप–प्रत्यारोप की स्थिति बनी।

धरना स्थल पर युवाओं के ही माइक से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने उनकी मुख्य मांगों पर सहमति जताई और साफ कर दिया कि सरकार तनातनी के बजाय युवाओं के साथ भरोसे का रिश्ता मजबूत करना चाहती है। सीएम धामी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि रियल टाइम संवाद और पारदर्शिता का प्रतीक है।

विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि इस पहल से सरकार और युवा शक्ति के बीच किसी भी प्रकार के संदेह के बीज नहीं बोए गए। इसके सकारात्मक परिणाम तत्काल दिखाई दिए, और युवा आंदोलनकारियों ने भी इसे स्वागत योग्य कदम माना। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय उत्तराखंड की राजनीति में नेतृत्व की परिपक्वता और साहस का उदाहरण है। सीएम धामी के इस कूल स्टाइल और निर्णायक रुख ने यह साबित कर दिया कि एक बड़ा नेता वही है जो अपने पर्सनल ईगो को परे रखकर जनता की नब्ज़ को समझ सके।

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