एफआरआई में वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर जताई चिंता, इन आधुनिक तकनीकी पर दिया जोर
देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून की अनुसंधान सलाहकार समूह बैठक में जलवायु परिवर्तन से उपजे हालात पर चिंता जाहिर की गई। इस दौरान नई तकनीकी से जलवायु परिवर्तन रोकने और नए शोध परियोजना के प्रस्तावों पर चर्चा की गई। बैठक में युवा वैज्ञानिकों द्वारा अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए गए।
वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) में गुरुवार को 30वीं अनुसंधान सलाहकार समूह की बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान अनुसंधान सलाहकार समूह द्वारा हर साल नए शोध परियोजना प्रस्तावों पर चर्चा और आकलन करने का निर्णय लिया गया। बैठक की शुरुआत वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक और आरएजी की अध्यक्ष डॉ. रेनु सिंह के उद्घाटन भाषण से हुई। संस्थान के समूह समन्वयक (शोध) डॉ. एन.के. उप्रेती ने सलाहकार समूह की बैठक का एजेंडा प्रस्तुत किया। उन्होंने सभा के सदस्यों को संस्थान की शोध गतिविधियां के बारे में जानकारी दी। बैठक में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, पंजाब, दिल्ली और हरियाणा के राज्य वन विभागों के प्रतिनिधियों, विषय विशेषज्ञों, वरिष्ठ वैज्ञानिकों, वन अनुसंधान संस्थान के सभी प्रभागों के प्रमुख, किसानों, गैर सरकारी संगठनों और विभिन्न अन्य हितधारकों ने भौतिक और ऑनलाइन .माध्यम से भाग लिया। इस वर्ष परियोजना प्रस्ताव मुख्य रूप से युवा वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किए गए तथा डॉ. रेनु सिंह एवं अन्य विशेषज्ञों ने उनका उत्साहवर्धन किया तथा आवश्यक सुझाव दिए। प्रस्तावित परियोजनाओं के सभी प्रधान अन्वेषकों के साथ गहन चर्चा की गई। चर्चा का विषय जलवायु परिवर्तन का वन, जैवविविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर प्रभाव, सतत वन प्रबंधन पद्धतियां तथा वन संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए नई प्रौद्योगिकियों का विकास करना रहा। बैठक में प्रमुख वन अधिकारी जगदीश चंद्र, अनुराधा वेमोरी, के.सी. मीना, डॉ. विजय कुमार, सतनाम सिंह, टी.सी. नौटियाल एवं मुकुल कुमार उपस्थित रहे। वैज्ञानिकों में डॉ. मानव इंद्र सिंह गिल, डॉ. जी.एस. रावत, डॉ. आर.एम. माथुर, डॉ. सिद्धार्थ एस. रे, डॉ. चरण सिंह, गजेंद्र सिंह एवं ए.डी. डोभाल उपस्थित थे। बैठक में अन्य विषय विशेषज्ञ डॉ. सुरेश कुमार, प्रो. दविंदर कौर वालिया, डॉ. राकेश चुघ, डॉ. अरुण कुमार भी शामिल हुए और शोध प्रस्तावों में सुधार के लिए अपने सुझाव दिए। बैठक का समापन डॉ. विकास राणा द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।