शीतकाल के लिए बंद हुए बाबा केदारनाथ के कपाट, गंगा और यमुना आज विराजेगी मायके

देहरादून। उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध धाम बाबा केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इससे पहले बुधवार को मां गंगे के कपाट बंद हो गए थे। आज यमुना मां के कपाट भी 12 बजे बंद हो जाएंगे। इसके बाद भैया दूज पर गंगा और यमुना अपने अपने मायके में विराज जाएगी। जबकि 29 अक्टूबर को केदार बाबा की डोली पूजा गद्दीस्थली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी।
आज भैयादूज के पावन पर्व पर गुरुवार को परंपरानुसार भगवान आशुतोष के ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग श्रीकेदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस मौके पर सैकड़ों भक्तों ने बाबा के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। इस वर्ष केदारनाथ यात्रा में रिकॉर्ड 15 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं। सुबह चार बजे से ही मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। मुख्य पुजारी टी गंगाधर लिंग ने आराध्य का श्रृंगार कर आरती उतारी। इस मौके पर स्वयंभू लिंग को समाधि रूप देकर पुष्प व भस्म से ढका गया। भगवान की भोग मूर्तियों को चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान कर भक्तों के दर्शनों के लिए कुछ देर मंदिर परिसर में रखा गया।जिसके बाद विधि-विधान व धार्मिक परंपराओं के तहत सुबह 08.30 बजे केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए शुभ लग्न पर बंद कर दिए गए। अन्य धार्मिक औपचारिकताओं को पूरा करते हुए प्रशासन व बीकेटीसी के अधिकारियों की मौजूदगी में मंदिर के कपाट बंद कर चाभी एसडीएम ऊखीमठ को सौंप दी गई। उधर, बुधवार को मां गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ बंद हो गए। मां गंगा की उत्सव डोली गंगोत्री से मुखबा के लिए रवाना हुई। जहां आज भैया दूज के पर्व पर मुखीमठ स्थित शीतकालीन निवास में गंगा की मूर्ति गर्भगृह में विराजेगी। इधर, यमुनोत्री स्थित मां यमुना के कपाट भी आज भैया दूज पर बंद होंगे। जहां से सोमेश्वर देवता की डोली के साथ यमुना की भोग मूर्ति खरशाली लायी जाएगी। जहां भैया दूज के पर्व पर यमुना की मूर्ति मंदिर में विराजेगी।