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मेट्रो मदिरा से पहाड़ में रोजगार, राजस्व बढेगा, जहरीली और तस्करी पर लगाम

-गुणवत्तायुक्त वनस्पतियों, फलों और पत्तियों से बनेगी मेट्रो मदिरा
-राज्यभर में पहाड़ी फलों के नाम से तैयार ब्रांड सस्ती और स्वास्थ्य के किये उत्तम
-राज्य में कच्ची, तस्करी और जहरीली शराब रोकने में बनेगी मददगार

देहरादून। पहाड़ के माल्टे, सेब, किन्नू, काफल आदि फ्रूट्स बाजार और दाम न मिलने से अब बर्बाद नहीं होंगे। सरकार की मेट्रो लिकर (शराब) नीति धरातल पर उतरी तो इन फ्रूट्स के मुंह मांगे दाम मिलेगा और मांग बढ़ेगी। इससे जहां पहाड़ में पलायन रुकेगा, वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। साथ ही तस्करी से बिकने वाली कच्ची, जहरीली और नशीली शराब पर भी पूरी तरह से बैन लग जाएगा।
देश-विदेशों की तर्ज पर फलों, वनस्पतियों और पत्तियों से बनने वाली अच्छी गुणवत्ता की सस्ती और स्वास्थ्य के लिहाज से उत्तम मेट्रो मदिरा उत्तराखंड में भी बिकेगी। सरकार ने नई शराब नीति में अंग्रेजी शराब की दुकानों में स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम और सस्ती मेट्रो मदिरा का प्रावधान किया है। यह मदिरा उत्तराखंड में राजस्व बढ़ाने एवं जनस्वास्थ्य के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित होगी। खासकर राज्य में बड़ी मात्रा में पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तरप्रदेश से तस्करी और स्थानीय स्तर पर बनाई जाने वाली जहरीली, नशीली शराब राजस्व और जनस्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। ऐसे में सरकार ने उत्तराखंड में पहाड़ी उत्पादों से बनने वाली मेट्रो मदिरा की जो नीति बनाई, वह राज्य के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार, राजस्व और पहाड़ में पलायन रोकने में मदगार साबित होगी। राज्य में मेट्रो मदिरा बनाने के लिए फलों, वनस्पतियों, पत्तियों आदि उत्पादों की मांग से पहाड़ में खेती, औद्योनिकी से रिवर्स माइग्रेशन भी बढ़ेगा।

उत्तराखंड में बनेगी मेट्रो मदिरा

सरकार ने नीति में स्पष्ट किया कि पहाड़ी फलों, उत्पादों से बनने वाली मेट्रो मदिरा पहाड़ में ही तैयार होगी। इसके अलावा मेट्रो मदिरा का नाम भी माल्टे, पुलम, सेब, आड़ू, काफल, किंगोड़, ईशर, बमोर जैसे नामों से ब्रांड तैयार होंगे। इससे स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार भी बढ़ेगा।

गुणवत्ता और स्वास्थ्य वर्धक

मेट्रो मदिरा का निर्माण अच्छी गुणवत्तायुक्त फलों, पत्तियों और वनस्पतियों से होगा। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से कम हानिकारक और गुणवत्ता की दृष्टि से अच्छी और सस्ती होगी। खासकर इसमें 40 प्रतिशत तीव्रता ब्रांडेड शराब की तर्ज पर बनाया जाएगा। यह मदिरा सरकारी ठेकों पर बिकेगी। डिस्टलरी से लेकर दुकान तक पहुंचाने, बेचने पर विभाग की कड़ी निगरानी रहेगी।

मेट्रो मदिरा पूरे देश और दुनिया में बिक रही है। नई शराब नीति में इसको पूरे राज्य में बेचने का प्रावधान किया है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम, सस्ती और कम तीव्रता की मदिरा है। मेट्रो कोई कम्पनी नहीं बल्कि अंग्रेजी और देशी के बीच का शब्द है, जो हर राज्य और विदेशों में प्रचलित है। उत्तराखंड में पांच नहीं बल्कि पूरे 13 जिलों में स्थानीय उत्पादों के नाम से इसे बेचा जाएगा। इससे राजस्व बढेगा और जहरीली, नशीली शराब की तस्करी पर प्रतिबंध लगेगा।

हरिचन्द्र सेमवाल, आयुक्त
आबकारी, उत्तराखंड।

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