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वर्ल्ड स्लीप डे: शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए निंद्रा जरूरी

देहरादून।  सम्पूर्ण विश्वा मे लोगो की एक बड़ी संख्या अनिद्रा नामक रोग से पीड़ित है। आज कल के भाग दौड़ के बीच एवं खराब जीवनशैली के कारण, नींद के लिए पर्याप्त समय ना मिलने के कारण उसका प्रभाव लगभग सभी व्यक्तियों पर पड़ रहा है। आयुर्वेद में वर्णित तीन उपस्तम्भो में से एक महत्वपूर्ण स्तम्भ निद्रा भी है जो की शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य हेतु अति आवश्यक है।

 

आयुर्वेद के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ जेएन नौटियाल के अनुसार मानव शरीर के तीन दोष वात, पित , कफ का सम्बन्ध निद्रा से है। इन त्रीदोषों मे यदि समता न हो तो इसका सीधा प्रभाव निद्रा की गुणवक्ता एवं समय अवधी पर पड़ता है। जिससे विभिन्न प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक रोग उत्पन्न हो सकते है। आयुर्वेद मे निद्रा का सही समय कफ काल को बताया गया है। जो की रात्रि में 9 से 11 के बीच का होता है। इसलिए सभी को इस समय अवधी में सोने का प्रयास करना चाहिए। पंचकर्म जो की आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण विधा है जिसके माध्यम से अनिद्रा नामक व्याधि का ठीक प्रकार से प्रबंधन किया जा सकता है। विशेष रूप से सिरोधारा नामक थेरेपी से अनिद्रा के रोगी लाभान्वित हो सकते है। श्री आयुष हॉस्पिटल मे world sleep day के अवसर पर एक संगोष्ठी आयोजित की गयी जिसमे सस्थान के वरिष्ठ आयुर्वैदिक एवं पंचकर्म विषेसज्ञा डॉक्टर जेएन नौटियाल ,डा उपकार कुकरेती, एवं पैरामेडिकल स्टॉफ काफ़ी संख्या में लोग उपस्थित लोगो के साथ साथ विद्यार्थीगन्न् भी उपस्थित रहे ।

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