इन्वेस्टर्स समिटउत्तराखंडसरकार का फैसला

उत्तराखंड को पहले पंप स्टोरेज हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की सौगात, जिंदल ग्रुप 1500 मेगावाट पर खर्च करेगा 15 हजार करोड़

देहरादून। नई दिल्ली में आयोजित उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर समिट से अच्छी खबर है। देश के प्रतिष्ठित जिंदल ग्रुप ने सरकार के साथ उत्तराखंड में 1500 मेगावाट का पहला “पंप स्टोरेज हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट” लगाने का करार किया है। इस प्रोजेक्ट पर 15 हजार करोड़ खर्च होंगे तथा प्रत्यक्ष रूप में 1000 लोगों को रोजगार मिलेगा। पब्लिक और एंवरमेंट फ्रेंडली इस प्रोजेक्ट से पांच साल के भीतर बिजली उत्पादन शुरू होगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में बुधवार को नई दिल्ली में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 को लेकर रोड शो आयोजित हुआ। इस दौरान देश के नामी उद्योगपतियों ने भाग लिया। शो के दौरान मुख्यमंत्री की मौजूदगी में देश के नामी उद्योगपति जिंदल ग्रुप (जेएसडब्ल्यू) की जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी लिमिटेड ने उत्तराखंड सरकार साथ 15 हजार करोड़ का एमओयू साइन हुआ है। देशभर में पंप स्टोरेज हाइड्रो प्रोजेक्ट स्थापित कर रहे जिंदल ग्रुप की नियो एनर्जी लिमिटेड द्वारा अल्मोड़ा में 1500 मेगावाट् के 2 पम्प स्टोरेज हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण किया जाएगा। इन प्रोजेक्ट में हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में रोजगार दिए जाने के साथ ही जिले की बड़ी आबादी को पेयजल आपूर्ति तथा कृषि के लिए सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस करार के दौरान जिंदल ग्रुप से समय पर गुणवत्ता पूर्वकपंप स्टोरेज का निर्माण करने, क्षेत्र के विकास में ट्रेनिंग सेंटर, शिक्षा, पेयजल सुविधाएं,  प्रमुख मंदिरों (मानसखंड मंदिर माला से जुड़े) के सौंदर्यीकरण और पुनर्निर्माण के क्षेत्र में सहयोग की अपेक्षा की।

पांच साल में बनेंगे दोनों प्रोजेक्ट

सरकार के साथ हुए करार के अनुसार जिंदल ग्रुप 1500 मेगावाट क्षमता के  दोनों पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट को स्थापित करने में 5 से 6 साल का समय लगाएगा। दोनों प्रोजेक्ट अल्मोडा के जोसकोटे गांव के साइट एक में यह योजना निचला बांध ( जलाशय) कोसी नदी से लगभग 8 से10 किमी की दूरी पर प्रस्तावित है। जबकि अल्मोड़ा के कुरचौन गांव की साइट दो में यह ऊपरी जलाशय कोसी नदी से  करीब 16 किमी की दूरी पर प्रस्तावित है।

 

क्या है पंप स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट

पर्यावरणीय सुरक्षा का ध्यान रखते हुए नदी के नेचुरल स्रोत को जलाशय में बदल दिया जाता है। इसके बाद दोनों प्रोजेक्ट के बीच एक निश्चित दूरी होती है। ऊपरी जलाशय का स्टोरेज पानी ढालदार स्थान से टरबाइन तक ले जाया जाता है। बिजली उत्पादन के बाद जो पानी बाहर निकलता है, उसको पुनः दूसरे प्रोजेक्ट से पम्पों के माध्यम से दिनभर ऊपर वाले जलाशय में ले जाया जाता है। इस तरह के प्रोजेक्ट से बिजली की जरूरत यानी पीक टाइम पर ही बिजली का उत्पादन किया जाता है। खासकर दिनभर सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से उद्योगों आदि को पर्याप्त बिजली मिलती है। लेकिन पीक ऑवर्स में बिजली की कमी को इन प्रोजेक्ट से पूरी की जाती है। इसके अलावा पंप से पानी वापस ले जाने के लिए भी दिन में सौर ऊर्जा का उपयोग उसी प्रोजेक्ट से होता है।

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