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उत्तराखंड की “योगिता” ने पहाड़ में पलायन के दर्द पर लिया विकास का “संकल्प”, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून। पहाड़ के पलायन को लेकर युवाओं की पीड़ा अब छलकने लगी है। खासकर पलायन से नेतृत्व विहीन और विकास की रफ्तर में पिछड़ रहे पहाड़ के विकास को लेकर उच्च शिक्षित और शहरों की आलीशान जीवन को छोड़ कुछ युवाओं में पहाड़ के विकास का दर्द साफ झलक रहा है। इन्हीं में से एक दून में पली, बढ़ी और शिक्षित हुई योगिता कैंतुरा रावत भी शामिल है। दून में अच्छे पद पर नौकरी कर रही योगिता ने अब पहाड़ के विकास का संकल्प लेते हुए रिवर्स पालयन रोकने को खुद ही गांव का नेतृत्व करने की ठानी है। योगिता ने दून की आलीशान जिंदगी को छोड़ पहाड़ में गांव का मुखिया बनकर विकास की अलख जगाने का निर्णय लिया है। इस काम में योगिता का साथ उनके पति से लेकर गांव कस्बे के लोग खुलकर खड़े हो रहे हैं।

रिवर्स पलायन कर गांव के विकास की डोर थमेगी योगिता

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसी बीच एक पॉजिटिव खबर सामने आ रही है, जहां अब युवा पीढ़ी भी रिवर्स पलायन करके अपने गांव की बागडोर संभालना चाहते हैं। योगिता के इस निर्णय से परिजन और गांव के लोगों में ख़ुशी है। खासकर दून की बेटी गांव के विकास को लेकर शहर की आलीशान जिंदगी छोड़ गांव में जाना चाहती है।

एमएनसी में काम करती योगिता

देहरादून में पली-बढ़ी योगिता केंतुरा रावत ने अपनी शिक्षा दीक्षा भी देहरादून से ही पूरी की है। वर्ष 2023 में योगिता की शादी चमोली जिले के दुर्गम गांव ख़ेनूरी में हुई। योगिता वर्तमान में एक मल्टीनेशनल ऑर्गनाइजेशन में अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।

पलायन के दर्द को देखते हुए लिया कठोर निर्णय

योगिता बताती हैं कि आज भी हमारे गांवों में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा का अभाव दिखता है। योगिता का कहना है कि मैं अपने गांव को एक मॉडल गांव के रूप में देखना चाहती हूं। आज मेरे पास अच्छी खासी शिक्षा और अनुभव है, इसलिए मैंने अब रिवर्स पलायन करने का विचार बनाया है। और योगिता अब रिवर्स पलायन करके प्रधान का चुनाव लड़ने का मन बना चुकी हैं। योगिता एक सम्पन्न परिवार से आती हैं, इसलिए प्रधान का चुनाव लड़ना उनके लिए कोई आजीविका का माध्यम नहीं है, बल्कि एक सेवा भाव से वो राजनीति में पदार्पण करना चाहती हैं।

सरकार की महिला सशक्तिकरण की मुहिम को मजबूती

सरकार की महिला सशक्तिकरण की मुहिम को योगिता आगे बढ़ाएंगी। खासकर पंचायत चुनाव में सरकार द्वारा महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने के बाद योगिता जैसी बेटियाँ गांव से लेकर शहर तक प्रतिनिधित्व कर विकास को नए मुकाम पर पहुँचाने का काम करेंगी। योगिता की यह मुहिम निश्चित ही महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बड़ा कदम माना जा सकता है।

गांव छोड़ रहे युवाओं के लिए बनी प्रेरणा

यदि योगिता चुनाव जीतती हैं, तो निश्चित तौर पर यह युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी होगा। योगिता की कहानी उन युवाओं के लिए एक उदाहरण है, जो अपने गांव की सेवा करना चाहते हैं और बदलाव लाना चाहते हैं।

 

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