भगवान बद्रीविशाल के कपाट बंद, उद्धव और कुवेर जी चले शीत निवास की ओर, 21 नवम्बर को जोशीमठ पहुंचेंगी गद्दी
देहरादून। भू-बैकुंठ धाम भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। कपाट ठीक 3 बजकर 35 मिनट पर विधि-विधान एवं मंत्रोच्चारण के साथ बंद किए गए। मंदिर से भगवान उद्धव जी और कुवेर जी की उत्सव मूर्ति आदि शंकराचार्य की गद्दी के साथ शीत कालीन निवास को रवाना हो गई। आज कपाट बंद होने के मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन को जुटी। इस दौरान कड़ाके की ठंड के बावजूद लोगों में भगवान बद्रीविशाल के प्रति असीम आस्था देखी गई।
विश्व प्रसिद्ध चार धाम में प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए हैं। आज भगवान बद्रीनाथ की पूजा अर्चना के बाद और श्रद्धालुओं के दर्शन के बाद कपाट बंद किये गए। इसके साथ ही उत्तराखंड के चारों धाम के कपाट बंद हो गए हैं। इससे पहले भैया दूज के दिन गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट बंद किए गए थे। इस बार जहां चारों धाम में 50 लाख के करीब तीर्थयात्रियों के दर्शन करने का दावा किया जा रहा है। वहीं अकेले बद्रीनाथ धाम में 17 लाख 52 हजार से भी अधिक तीर्थयात्री दर्शन को पहुंचे हैं। कपाट बंद करने से पहले मंदिर को फूलों से सजाया गया था। कपाट बंद होने से पहले भगवान बद्रीविशाल को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया।कपाट बंद होने के बाद उद्धव और कुबेर जी की डोलीबद्रीनाथ से बामणी गांव को रवाना हुई। जबकि शंकराचार्य जी की गद्दी आज रावल निवास में रात्रि विश्राम के बाद कल पावन गद्दी और उद्धव कुबेर जी की मूर्ति प्रातकाल पांडुकेश्वर के लिए रवाना होंगे। जहां उद्धव जी और कुवेर जी को शीतकालीन मंदिर में विराजमान किया जाएगा। जबकि 21 नवंबर को शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ के नरसिंह मंदिर पहुंचेगी। जहां विधि विधान से गद्दी को शंकराचार्य के मठ में विराजमान किया जाएगा।