उत्तराखंड

उत्तराखंड में “संसदीय लोकतांत्रिक परंपरा में तकनीकी शब्दावली का महत्व” पर इसलिए जुटेंगे देशभर के विद्वान

देहरादून। उत्तराखंड में संसदीय लोकतांत्रिक परम्परा में तकनीकी शब्दावली का महत्व” को लेकर विद्वानों की कार्यशाला होगी। हेमवती नंदन गढ़वाल विश्विद्यालय श्रीनगर के एकेडमिक एक्टिविटी सेंटर चौरास में दो दिवसीय कार्यशाला 12 और 13 अक्टूबर को होगी। इस दौरान संसदीय तकनीकी शब्दावली को समृद्ध करने तथा इसमें विदेशी क्लिष्ट भाषा को हटाने बजाय सुगृह्य भारतीय भाषाओं का उपयोग करने पर विचार विमर्श कर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।

हेमवती नंदन गढ़वाल विश्विद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा वैज्ञानिक तथा तकनीक शब्दावली आयोग (CSTT), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से 12 तथा 13 अक्टूबर 2023 को एकेडमिक एक्टिविटी सेंटर चौरास में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का विषय ” संसदीय लोकतांत्रिक परम्परा में तकनीकी शब्दावली का महत्व” है। जिसमें देश भर के विषय विशेषज्ञ जुटकर संसदीय तकनीकी शब्दावली के विकास एवं संवर्धन के विषय में विचार-विमर्श करेंगे। इस कार्यक्रम के विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग प्रो. एमएम सेमवाल ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य संसदीय तकनीकी शब्दावली को समृद्ध करने तथा इसमें विदेशी क्लिष्ट भाषा के बजाय सुगृह्य भारतीय भाषाओं का उपयोग करने के लिए किया जा रहा है। जिससे भारतीय संविधान की दुरुहता को कम किया जा सके। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि प्रोफेसर गिरीश नाथ झा, अध्यक्ष वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार, कार्यशाला की मुख्य संरक्षक प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल, कुलपति हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय, अति विशिष्ट अतिथि हिमालयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर काशीनाथ जैना, डॉक्टर शहजाद अहमद अंसारी, वैज्ञानिक, तकनीकी शब्दावली आयोग शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार दिल्ली तथा प्रो. हिमांशु बौड़ाई, डीन मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग, गढ़वाल विश्वविद्यालय इत्यादि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।

देश के नामी विश्वविद्यालय के विद्वान लेंगे भाग

इस कार्यशाला में देशभर से विद्वान शामिल हो रहे हैं । जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग दिल्ली, पंजाब विश्वविद्यालय, हिमालयी विश्वविद्यालय, दून विश्वविद्यालय, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी ,श्री देव सुमन उत्तराखण्ड यूनिवर्सिटी, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय देहरादून, संस्कृत सेंट्रल यूनिवर्सिटी एवं एसएस जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा प्रमुख हैं । इसके अतिरिक्त कई अन्य विश्वविद्यालयों के शोधार्थी एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय के फैकल्टी मेंबर्स एवं शोधार्थी भी इसमें प्रतिभाग कर रहे हैं।

 

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