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उत्तराखंड में एसएसपी ने थानेदार की ली क्लास, दरोगा और सिपाही की श्मशान घाट पर लगाई ड्यूटी

देहरादून। उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद के एसएसपी अजय सिंह ने पुलिस कार्मिकों को गंभीर लापरवाही पर अनूठी सजा दी है। मामला रुड़की के हरीश चांदना प्रकरण से जुड़ा है। जानकारी के अनुसार चांदना की ट्रेन से कटने से मौत हो गई थी। पुलिस को लाश मिली तो लावारिस में अंतिम संस्कार कर दिए। जबकि मृतक की पत्नी अंतिम संस्कार से पहले ही पुलिस को सुसाइड नोट और पति के गुमशुदगी की अर्जी दे गई थी। लेकिन थानेदार से लेकर बीट दारोगा और सिपाही ने महिला की अर्जी को गंभीरता से न लेते हुए फ़ाइल रूटीन के केस जैसा समझ फ़ाइल में दबा दिया। पीड़ित महिला जब दुबारा पति की फ़ोटो लेकर थाने पहुंची तो पुलिस वालों  ने लावारिश शवों के साथ शिनाख्त करा दी और कहा कि उसके पति का अंतिम संस्कार हो गया है। यह मामला एसएसपी तक पहुंचा तो उन्होंने एसओ, दरोगा और सिपाही को लाइन हाजिर और सस्पेंड करने की बजाय थानेदार की जमकर क्लास,  दरोगा और सिपाही की ड्यूटी श्मशान घाट पर बतौर सजा कटाने को लगा दी।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार हरिद्वार के रुड़की में 23 अक्टूबर एक व्यक्ति की रेल की चपेट में आने से मौत हो गई थी। पुलिस ने मृतक का अज्ञात व्यक्ति के रूप में क्रियाकर्म करने तथा थाना स्तर से गुमशुदगी दर्ज करने में अनावश्यक देरी तथा बाद में अज्ञात शव की पहचान बतौर हरीश चांदना के रूप में हुई। इस प्रकरण में एसएसपी हरिद्वार अजय सिंह द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की जिम्मेदारी एसपी ग्रामीण स्वप्न किशोर को दी थी। जांच उपरांत एसपी ग्रामीण स्वप्न किशोर द्वारा प्रकरण में पुलिस कर्मियों में परस्पर संवाद की कमी, अज्ञात शव की पहचान के लिए पर्याप्त प्रयास न करने व अनजाने में लापरवाही बरतने का नतीजा बताया। जिस पर एसएसपी हरिद्वार द्वारा एसएचओ गंगनहर को अंजाने में हुई लापरवाही पर कड़ी फटकार लगाते हुए कोतवाली गंगनहर में तैनात उपनिरीक्षक नवीन सिंह व थाना कार्यालय में तैनात कांस्टेबल चेतन सिंह तथा संतोष को 14 व 15 अक्टूबर को क्रमशः खड़खड़ी घाट, सती घाट व चण्डीघाट पर आठ-आठ घंटे मौजूद रहकर आने वाले शवों के शवदाह में सहयोग करने का मानसिक/भावनात्मक/सामाजिक दण्ड दिया गया।  ताकि हरीश चांदना प्रकरण में बरती गई लापरवाही का कर्मियों को पश्चाताप हो व अपनी दिन-रात की नौकरी के बीच सामाजिक व्यवस्थाओं एवं उनमें अंतर्निहित भावनाओं को कर्मचारीगण समझें व भविष्य में ऐसी लापरवाही की पुनरावृति न हो।

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