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दुःखद, पहाड़ ही नहीं देश की लाखों बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत थी उत्तरकाशी की एवरेस्टर सविता कंसवाल

देहरादून। अभी तो छह माह पहले यानी मई माह में सविता ने दुनिया की सबसे ऊंची चोंटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराते हुए हौसलों की उड़ान भरी थी। सविता न केवल उत्तरकाशी, पहाड़ बल्कि पूरे देश की लाखों बेटियों के सपनों को आगे बढ़ा रही थी। लेकिन समय और कुदरत की मार ने पहाड़ जैसा जज्बा रखने वाली होनहार बेटी सविता को हमेशा अपनी गोद में सुला दिया। अब हमारे बीच सिर्फ और सिर्फ उसकी यादें शेष हैं। सविता की तरह ही भुक्की की नवमी के सपने भी देश-दुनिया की नामचीन चोटियों पर आरोहण से पहले टूट गए। अब सिर्फ और सिर्फ परिजनों के पास नवमी की यादें शेष रह गईं।

एनआईएम के एडवांस कोर्स प्रशिक्षण में बतौर प्रशिक्षक शामिल हुई उत्तरकाशी की दो बेटियों की द्रौपदी के डांडा में आये एवलांच में मौत हो गई। इसकी खबर मिलते ही चारों तरफ शोक की लहर दौड़ पड़ी। लाखों बेटियों के सपनों को उड़ान भरने में यह दोनों अहम भूमिका निभा रही थी। लेकिन समय और कुदरत के सामने सब कुछ तबाह हो गया। अब सिर्फ और सिर्फ उनकी यादें बाकी हैं। लुथरू गांव की सविता कंसवाल ने तो अभी कुछ माह पहले यानी मई माह में दुनिया की सबसे ऊंची चोंटी एवरेस्ट फतह की थी। अभी तो सविता एवरेस्ट फतह की खुशियां ही बांट रही थी। परिवार ही नहीं पूरा जनपद, राज्य बेटी की सफलता से फक्र महसूस कर रहा था। लेकिन गत दिवस “द्रोपदी का डांडा” पर्वत चोटी पर हुए हिमस्खलन की दुःखद दुर्घटना में लोंथरू गांव निवासी इस उभरती हुई पर्वतारोही एवेरेस्ट विजेता सविता कंसवाल व इसी क्षेत्र की भुक्की निवासी नवमी रावत सहित अन्य प्रशिक्षक और प्रशिक्षुओं के कालकल्पित होने की हृदयबिदारक खबर ने सभी का मन दुःखी कर दिया। अभी-अभी तो सविता ने इस होनहार और बहादुर बालिका ने माउंट एवरेस्ट और उसके समकक्ष पर्वत चोटियों को फतह कर दुनिया में अपनी काबलियत का प्रदर्शन किया था। लेकिन होनी के आगे सब विवश है। वाकई उत्तरकाशी ने आज अपना उभरता हुआ चमकता हीरा खो दिया।

 

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