देहरादून के आंगनबाड़ी केंद्रों में सड़े अंडे बांटे गए, बच्चों की सेहत से खिलवाड़!

देहरादून। राजधानी देहरादून में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की गंभीर लापरवाही का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां रायपुर क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित किए जाने वाले अंडों की खेप सड़ी हुई पाई गई। कई अंडों में कीड़े तक पाए गए, जिससे छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा गया।
जानकारी के अनुसार, इन अंडों की आपूर्ति का ठेका दूसरे राज्य की एक फर्म को दिया गया था, जिस पर विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कहना है कि उन्होंने पहले भी घटिया खाद्य सामग्री की शिकायतें कई बार विभाग को दी थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।बल्कि, विभाग ने कार्यकत्रियों को चेतावनी दी कि वे मीडिया या सोशल मीडिया पर बयान न दें। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, दीपनगर क्षेत्र में पहले भी गेहूं और चावल की खराब गुणवत्ता पर सवाल उठ चुके हैं, लेकिन विभाग ने हर बार मामले को नजरअंदाज कर दिया।
उत्तराखंड आंगनबाड़ी कार्यकत्री-सहायिका संगठन की प्रांतीय नेता रेखा नेगी ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा क्या उत्तराखंड में कोई अंडे का सप्लायर नहीं है, जो बाहर की फर्म से घटिया सामान मंगाया जा रहा है? यह बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ है और भ्रष्टाचार का खुला उदाहरण है।वहीं, विभाग के उप निदेशक विक्रम सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा है कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। यदि किसी स्तर पर या अनुबंधित फर्म की ओर से गड़बड़ी पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राजधानी में ही सड़े अंडों का मामला सामने आने के बाद, सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति और विभागीय निगरानी पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि नौनिहालों की सेहत से खुला खिलवाड़ और प्रशासनिक मिलीभगत का मामला प्रतीत होता है। सूत्रों के मुताबिक, विभाग अब आपूर्ति प्रक्रिया, ठेके की शर्तों और खाद्य सामग्री की गुणवत्ता जांच को लेकर विशेष जांच दल (SIT) गठित करने पर विचार कर रहा है। हालांकि, अभी तक ठेकेदार फर्म का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है।