उम्मीद की किरण: हिमाचल में 10 दिन के रेस्क्यू के बाद सुरंग से सुरक्षित निकाले गए थे फंसे हुए मजदूर
देहरादून। यमुनोत्री हाईवे की सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 40 श्रमिकों के लिए देशभर में घटित पूर्व घटनाएं उम्मीद की बड़ी किरण हैं। खासकर 2015 में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में सुरंग में फंसे 3 मजदूरों को 10 दिन के रेस्क्यू के बाद सुरक्षित बाहर निकाला था। इसके अलावा उत्तरकाशी की मनेरीभाली जल विद्युत परियोजना, टिहरी बांध समेत अन्य सुरंग वाले प्रोजेक्ट भी इसके बड़े उदाहरण हैं। चूंकि अब रेस्क्यू कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है, ऐसे में फंसे हुए श्रमिकों को सकुशल निकाल लिया जाएगा।
उत्तराखंड की सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को लेकर परिजनों की चिंता वाजिब है। लेकिन यहां जिस तरह से युद्धस्तर पर काम चल रहा है, उससे राहत भी दिखती नजर आ रही है। खासकर सुरंग में मजदूरों के फंसने की पुरानी घटनाओं पर नजर डालें तो कम ही मामलों में निराशा हाथ लगी है। हम यहां सितंबर 2015 में हिमचाल प्रदेश के बिलासपुर जिले के घुमारवीं पनौल सुरंग में फंसे श्रमिकों को देखें तो वहां निर्माणाधीन सुरंग में करीब 3 श्रमिक फंस गए थे, जिन्हें एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की मदद से करीब 10 दिन बाद सुरंग से सुरक्षित निकाला गया था। यहां भी सुरंग को ड्रिल कर फंसे हुए श्रमिकों को एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम ने बाहर निकाले थे। उस दौरान भी फंसे हुए श्रमिकों से ऑक्सीजन पाइप से खाद्य सामग्री भेजी गई थी और पाइप के मार्फ़त ही श्रमिकों की परिजनों से बात हो रही थी। उत्तरकाशी में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस समेत देश की नामी एजेंसियों ने श्रमिकों को सुरक्षित रेस्क्यू को ताकत झोंक रखी है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती कि मजदूरों को जल्द सुरक्षित बाहर निकाल दिया जाएगा।
मनेरीभारी और टिहरी बांध में कई बार धंसी सुरंग
उत्तरकाशी की मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना द्वितीय चरण की जोशियाड़ा से धरासू के बीच निर्माणाधीन सुरंग कई बार धंसी थी और श्रमिक फंसे थे। यहां धनारी गाड़ एडिट में 7 मजदूर फंसे थे, जिन्हें कम्पनी ने करीब चार दिन बाद बाहर निकाला था। जबकि धरासू वाले हिस्से में भी मजदूरों के ऊपर लूज गिरने के बाद सुरक्षित बचा लिए थे।यहां उस दौरान जेसीबी, और अन्य नाकाफी मशीनों के बावजूद श्रमिकों को बाहर निकाला गया। इसी तरह टिहरी बांध में सुरंग, अंडरग्राउंड पावर हाउस आदि कार्य में भी बड़ी अड़चनें आई, जो मौजूदा उपकरण एवं संसाधनों से दूर की गई। ऐसे में सिलक्यारा सुरंग के फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने में जरूर सफलता मिलेगी।