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चौखुटिया में डॉक्टरों की तैनाती को लेकर सियासत गर्म, ट्रांसफर रद करने पर बवाल

देहरादून। अल्मोड़ा ज़िले के चौखुटिया क्षेत्र में जनता की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए उठी आवाज़ अब सियासत की जंग में बदल गई है। जहां लोग डॉक्टर और इलाज की मांग कर रहे थे, वहीं अब राजनीति का इंजेक्शन इस पूरे मुद्दे को और पेचीदा बना गया है।

यहां 24 दिन तक चले आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता की मांग पर त्वरित कार्रवाई करते हुए चौखुटिया के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उप-जिला चिकित्सालय घोषित कर दिया, साथ ही डॉक्टरों की तैनाती के आदेश भी जारी कर दिए।आदेश के मुताबिक, डॉ. मनीष पंत (विधायक का करीबी ) और डॉ. कृतिका भंडारी (पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की नातिन) को चौखुटिया भेजा गया। लेकिन यहीं से कहानी ने करवट ली। जैसे ही जनता को राहत की उम्मीद जगी, विपक्ष ने सियासी हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस ने इस ट्रांसफर को लेकर इतना विरोध किया कि स्वास्थ्य विभाग को आदेश वापस लेने पड़े। अब विरोधाभास साफ है,  जनता डॉक्टर चाहती थी, सरकार ने डॉक्टर भेज दिए, मगर कांग्रेस को इससे भी ऐतराज़ हो गया। शनिवार को कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी करीब 200 समर्थकों के साथ सीएमओ कार्यालय पहुंचे और घेराव कर दिया। माहौल इतना गरमा गया कि दफ्तर ही “राजनीतिक वार्ड” में बदल गया।वहीं, विपक्ष के नेता यशपाल आर्य अब सवाल उठा रहे हैं कि आदेश पहले क्यों जारी किए गए जबकि सवाल उनसे होना चाहिए कि अगर डॉक्टरों की जरूरत नहीं थी, तो आंदोलन क्यों हुआ?। इस पूरे प्रकरण में एक और दिलचस्प मोड़ तब आया जब डॉ. कृतिका भंडारी, जिनका ट्रांसफर हुआ था, अचानक पैर में चोट लगने की वजह से 15 दिन की मेडिकल लीव पर चली गईं और उनका मेडिकल सर्टिफिकेट देहरादून के कोरोनेशन अस्पताल से जारी हुआ!

अब यह “मेडिकल मिस्ट्री” भी लोगों की चर्चा का विषय है जो डॉक्टर चौखुटिया पहुंचीं ही नहीं, वे छुट्टी किससे ले रही हैं। कुल मिलाकर, सरकार जनता के इलाज का समाधान निकाल रही है, और विपक्ष उसी इलाज में राजनीति का इंजेक्शन लगा रहा है। चौखुटिया का अस्पताल अब उप-जिला चिकित्सालय बन चुका है, लेकिन विपक्ष की मानसिक हालत अब भी पुराने वार्ड में भर्ती नज़र आ रही है।

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