देवभूमि में गढ़ भोज दिवस पर घर-गांव में परोसे गए पहाड़ी व्यंजन
देहरादून। पहाड़ी उत्पादों को देश दुनिया में पहचान दिलाने के उद्देश्य से राज्यभर में गढ़भोज दिवस का आयोजन हुआ है। इस दौरान ग्रामीणों ने पहाड़ी उत्पादों को परोसते हुए “गढ़ भोज से निरोगी काया” का संकल्प लिया है। साथ ही स्कूल, कॉलेज आदि स्थानों पर गढ़ भोज दिवस के मौके पर पहाड़ी उत्पादों का आनंद लेते हुए हर उत्पाद को ब्रांड बनाने का संकल्प लिया है।
उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से 7 अक्टूबर को गढ़ भोज दिवस मनाया जा रहा है। मकसद है कि औषधीय गुणों से भरपूर पहाड़ी उत्पादों को देश दुनिया में पहचान दिलानी है। इसी उद्देश्य के साथ सोमवार को उत्तराखंड के साथ ही देश- विदेश में रहने वाले प्रवासियों के द्वारा गढ़ भोज दिवस धूमधाम से मनाया गया है। इसके लिए इस वर्ष गढ़ भोज दिवस का विषय ‘गढ़ भोज से निरोगी काया’ रखा गया था। इस दौरान गढ़ भोज दिवस पर स्कूल, कालेजों, महाविद्यालयों में निबंध प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता, रैली, भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई है। यहां राजधानी देहरादून में हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी द्वारा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज राजपुर रोड (देहरादून) में गढ़ भोज दिवस आयोजित किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में डा धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के परंपरागत मोटे अनाजो एवं उनसे बनने वाले भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर वर्ष 2000 से उत्तराखंड के कोने कोने में इनके बीजों को संरक्षित करने और इसके प्रचलन को बढाने की कोशिश जाड़ी संस्था के द्वारा किया जा रहा। यह एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा की हमारे पूर्वज मोटे अनाजों को प्रयोग करके निरोग रहते थे, लेकिन समय के साथ साथ मोटे अनाज हमारे भोजन से गायब होते जा रहे है। मंत्री ने कहा कि फिर से मोटे अनाज और इससे बनने वाले उत्पादों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। इसके लिए गढ़ भोज अभियान महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। इस मौके पर गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने गढ़भोज को मिड डे मिल में शामिल करने के लिए मंत्री जी का शाल व अंगवस्त्र प्रदान कर आभार व्यक्त किया। साथ ही स्कूली छात्र छात्रों द्वारा गढ़ भोज के साथ शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। इस मौके पर बच्चों के द्वारा एवं गायत्री रावत के द्वारा गढ़ भोज के विभिन्न पकवानों, फसलों की प्रदर्शनी लगाई गई।
कार्यक्रम में गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा की बच्चे पढ़ते समय से इनके गुणों को जाने, साथ ही देश के अन्य लोग भी हमारी भोजन संस्कृति को जाने इस उद्देश्य से *गढ़ भोज दिवस* का विचार समाज और सरकार के सामने लाया गया जो धीरे धीरे सफल भी हो रहा है।
इस अवसर पर बच्चो को विषय विशेषज्ञों प्रो मोहन पंवार ने कहा की जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में गढ़ भोज की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है।बसुरेश सतपती ने गढ़ भोज अभियान ने उत्तराखंड के भोजन को राष्टीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, ये फसलें और भोजन मनुष्य के शरीर के साथ मिट्टी के लिए भी लाभकारी है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक के दिनेश सेमवाल ने कहा की उत्तराखंड की भोजन संस्कृति ही दुनिया को स्वस्थ रख सकती है। गौरतलब है कि गढ़ भोज दिवस का आयोजन वर्ष 2022 से किया जा रहा है। जो कि मुख्य रूप से स्कूल, कालेज, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों एवं भोजन से जुड़े लोगो के द्वारा मनाया जाता है। इस वर्ष गढ़ भोज दिवस मनाने का आह्वान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पर्यावरणविद पद्म भूषण डा अनिल प्रकाश जोशी, गायक पद्मश्री प्रीतम भर्तवाण , गायक ओम बधानी, गायक इंदर आर्य, सामाजिक कार्यकर्ता नीदर लैंड से शेफ टीका राम पंवार, हल्द्वानी से डा नवीन लोहनी सहित दर्जनों अन्य लोगो ने वीडियो संदेश जारी कर गढ़ भोज को लेकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई।