देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जनपद में शराब ओवर रेट पर बेची जा रही है। इसकी शिकायत आबकारी मुख्यालय तक पहुंच गई है। बताया जा रहा कि जिले के आला अधिकारियों के सामने भी शिकायत रखी गई। लेकिन मिलीभगत का अंदेशा होने पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जिले के जागरूक लोग इस सम्बंध में नई सरकार मुख्यमंत्री तक ओवररेटिंग की शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं। इधर, चमोली जनपद के सभी अंग्रेजी शराब की दुकानों में न तो अधिकारियों के फोन नम्बर है और न ही सीसीटीवी कैमरे चल रहे हैं। इससे शराब की दुकान चलाने वाले मनमानी कर रहे हैं।
सरकारी अंग्रेज़ी शराब की दुकानों से अक्सर शिकायतें मिलती रहती हैं कि शराब की दूकान में कार्यरत सेल्समैन शराब खरीदने वाले ग्राहकों को बोतलों पर मुद्रित मूल्य से अधिक दामों पर शराब बिक्री करते हैं,कई बार ग्राहक इसका विरोध भी करते हैं,लेकिन सिस्टम के आगे उनकी एक नहीं चल पाती,हालंकि शराब की दुकानों पर ओवररेटिंग रोकने के लिए आबकारी विभाग ने जुर्माना भी तय किया हैं,और ओवर रैटिंग की शिकायत को लेकर प्रत्येक अंग्रेजी शराब की दुकानों के बाहर जिला आबकारी अधिकारी और क्षेत्रीय आबकारी निरीक्षक का फ़ोन नंबर अनिवार्य रूप से चस्पा करना भी आबकारी विभाग की नियमावली में हैं,लेकिन ओवर रैंटिंग का शिकार होने वाले लोगों की तरफ़ से यह कहा जाता हैं कि इन नंबरों को डायल करने पर या तो कॉल रिसीव नहीं होती हैं और अगर होती भी हैं तो कोई एक्शन नहीं होता,और उन्हें मजबूरन प्रिंट रेट से अधिक दामों पर ही शराब खरीदनी होती हैं। चमोली में ही एक अंग्रेज़ी सरकारी शराब की दुकान के कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चमोली में औसतन प्रतिदिन एक अंग्रेज़ी शराब की दुकान से 5000 रूपये क़रीब ओवर रेंटिंग शराब और बियर से प्राप्त होती है,चमोली में 15 अंग्रेजी शराब की दुकाने हैं,यानी चमोली की अंग्रेजी शराब की दुकानों से एक दिन में 75 हजार रूपये का डाका सरकारी दूकान से शराब खरीदने वाले आम आदमी की जेब पर पड़ता हैं।ऐसे में चमोली की 15 शराब की दुकानों से 2254444 की काली कमाई इकट्ठी होती हैं।
जिले के आबकारी विभाग ने साधी चुप्पी
ऐसा नही कि आबकारी विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में ओवर रैटिंग का यह मामला नही हैं,पता सबको हैं,लेकिन कार्यवाही सिर्फ़ ख़ानापूर्ति के लिए होती हैं।और अगर लाखों रुपयों की कमाई ओवररैटिंग से हों रही हैं तों शराब कारोबारी चालान की कार्यवाही होने पर भी जुर्माना भरने से भला परहेज़ क्यों करेगा।शराब तस्करी से लेकर शराब की दुकानो में ओवर रैटिंग का खेल यह सब आबकारी विभाग की सह में ही होता हैं,ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पूर्व में भी कर्णप्रयाग स्थित एफ़एल – 2 (सरकारी शराब गोदाम )क़ी कार्यशैली कई बार विवादों में रह चुकी हैं।
विभाग नहीं पुलिस पकड़ रही अवैध शराब
,और बची खुची तस्दीक इस बात से हो जाती हैं कि अवैध शराब को पकड़ने का जो काम आबकारी विभाग को करना चाहिए था वह पुलिस करती हैं,और आबकारी विभाग 2 या 5 लीटर अवैध कच्ची शराब पकड़कर इतिश्री पूरी कर लेता हैं।आंकड़ों में मुताबिक अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए ज़िम्मेदार आबकारी विभाग और पुलिस की तुलना की जाए तो आबकारी विभाग पुलिस से आगे कंही नहीं टिकता।अवैध शराब की बिक्री पर जब आबकारी विभाग से पूछा जाता हैं तो आबकारी विभाग स्टाफ़ की कमी का हवाला देकर मामले से ही पल्ला झाड़ देता हैं।ओवेररेटिंग को लेकर आबकारी विभाग का दावा है कि समय समय पर ओवररैटिंग की शिकायतो पर दुकानो में आबकारी विभाग की टीम छापेमारी कर चालान की कार्यवाही करती रहती हैं,और जुर्माना भी वसूल करती हैं।भले ही आबकारी विभाग चमोली कुछ भी दावा करें लेकिंन चमोली के गांव गाँवो में सरकारी दुकानो से अवैध तरीक़े से जा रही अवैध शराब की बिक्री और अंग्रेज़ी शराब की दुकानो पर ओवररैटिंग का खेल बदस्तूर जारी हैं। शराब की ओवररेटिंग को लेकर विभाग का पक्ष जानने की कोशिश की गई। लेकिन अधिकारियों से बात नहीं हो पाई। यदि अधिकारियों ने विभाग का पक्ष रखा तो उसको भी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।