उत्तराखंड में जमीन की लूट में छूट वाले अफसर भी आये रडार पर, इन पीसीएस और आईएएस अफसरों पर भी कस सकता शिकंजा
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी में करोड़ों की जमीनों के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करने वाले अफसरों पर भी शिकंजा कस सकता है। यदि एसआईटी की जांच सही दिशा में जारी रही तो जिन अफसरों के कार्यकाल में यह फर्जीवाड़ा हुआ है, उन पर भी जांच की आंच आनी तय है। खासकर फर्जीवाड़े के दौरान तैनात रहे तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम और डीएम भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। इसकी मांग राज्य की सबसे बड़ी बार एसोसिएशन ने भी उठा दी है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जमीनों का यह घोटाला बहुत बड़ा है, इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए, ताकि घोटाले में संलिप्त असली चेहरे बेनकाब हो सके।
उत्तराखंड में करोड़ों की जमीनों के फर्जीवाड़े में नामी वकील कमल बिरमानी समेत अब तक 9 लोगों की गिरफ्तारी होने के बाद भू-माफियाओं और इससे जुड़े लोगों में हड़कंप मचा है। मामले में आज राज्य की सबसे बड़ी बार देहरादून बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने रजिस्ट्री फर्जीवाड़े को उत्तराखंड का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। उन्होंने कहा कि प्रकरण में सिर्फ अधिवक्ताओं और कुछ कर्मचारियों पर ही कार्रवाई किया जाना गलत है। उन्होंने कहा कि फर्जीवाड़े में शामिल अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए। सोमवार को मीडिया को जारी किए गए एक वीडियो बयान में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि फर्जीवाड़ा तहसील के अधिकारियों के हस्ताक्षर से भी हुआ है। लिहाजा, जांच में तहसील व जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की जांच भी की जाए। क्योंकि इसके बिना यह कार्रवाई सिर्फ अधिवक्ता और कर्मचारियों जैसी कमजोर कड़ी का उत्पीड़न मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम, एडीएम प्रशासन, जिलाधिकारी के कार्यकाल में यह खेल हुआ, उनको चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। कहा कि फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई से कराई जाए। इसके लिए बार एसोसिएशन न्यायालय तक जाने से भी गुरेज नहीं करेंगे। जल्द बार एसोसिएशन इस मामले में बड़ा निर्णय ले सकती है।