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डोईवाला टाउनशिप पर मुखर हुए स्थानीय लोग, सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग

देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा डोईवाला में हजारों बीघा जमीन पर टाउनशिप निर्माण को लेकर आज संयुक्त किसान मोर्चा ने देहरादून प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता की ।
किसानों ने सरकार पर एयरोसिटी और टाउनशिप को लेकर गुमराह करने का आरोप लगाया । सामाजिक कार्यकर्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र रावत ने कहा कि सरकार द्वारा टाउनशिप को लेकर जो पूर्व में जो बयान दिए गए उसी से ऊहापोह की स्थिति हुई है उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर कह रही है कोई योजना नहीं है वहीं दूसरी ओर स्टेक होल्डर से बात करने का आश्वासन दे रही है। किसान टाउनशिप का विरोध कर रहे हैं और सरकार ऐरो सिटी पर जवाब दे रही है जो पूरी तरह गुमराह करने वाला है। स्थानीय निवासी ताजेंद्र सिंह ने कहा है कि जब किसान जमीन नही देने का संकल्प ले चुका है तो सरकार से बात करने का सवाल ही नहीं बचता। हाजी अमीर हसन ने कहा कि सरकार लाखों गन्ना किसानों की बासमती वाली खेती को हड़पना चाहती है जिसे होने नही दिया जाएगा
किसानों ने कहा कि विगत कुछ दिनों से इलेट्रोनिक व प्रिंट मीडिया के माध्यम से किये चल रही खबरों द्वारा संज्ञान में आया है कि भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित उत्तराखण्ड राज्य के दो क्षेत्रों गढ़वाल मण्डल में डोईवाला क्षेत्र में ग्रीन फील्ड स्मार्ट सिटी योजना के नाम पर प्रस्तावित निजी व सरकारी भूमि लगभग 3080 हैक्टेअर का अधिग्रहण किये जाने की योजना है। जिससे स्थानीय गरीब जनता जिसमें टोंगिया ग्राम (चांड़ी प्लांटेषन, बालकुंवारी, दिलीपनगर, सत्तीवाला, माधोवाला), गुजर बस्ती बनवाहा व सत्तीवाला, ग्राम पंचायत व जिला पंचायत के पट्टेदार भूमिधर, सुसवा, जाखन व सौंग नदी किनारे बसी मलिन बस्तियों जिसमें कुड़कावाला नई बस्ती, केशवपुरी, राजीवनगर, जाखन नदी बस्ती आदि के लोग, वन विभाग की भूमि व संरक्षित वन में बसे लोग तथा टाइगर रिर्जव फोरेस्ट के इको सेंस्टिव घोषित जोन बुल्लावाला-झबरावाला, रेषम माजरी, माजरीग्रान्ट, षेरगढ़, नुन्नावाला, भानियावाला, अठूरवाला सहित कई आवासीय गांव जिसमें निवासरत लगभग 50,000 से अधिक की आबादी प्रस्तावित योजना से प्रभावित होने की प्रबल संभावना है। यह कि इस क्षेत्र में निवास कर रहे लोग गरीब व निम्न आय वर्ग के किसान व मजदूर परिवार हैं जो कि कृशि से जुड़े हुए कार्य जैसे प्राकृतिक जैविक खेती, बागवानी, पषु पालन, कुटकुट पालन, मछली व मधुमक्खी पालन कर अपनी आजीविका कृशि पर आधारित कार्यों से चलाते आ रहे हैं तथा इसके अलावा इन क्षेत्रों में लगभग 90 प्रतिषत अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति/जनजाति वअल्पसंख्यक वर्ग के लोग निवासरत हैं। उक्त योजना से यदि इनकी आवासीय व कृशि भूमि का अधिग्रहण किया जाता है तो इनके सामने अपनी आजीविका एवं भरण-पोशण का गम्भीर संकट पैदा हो जायेगा जिससे इनके जीवन यापन में भविश्य में उसकी क्षतिपूर्ति हो पाना संभव नहीं होगा। यह कि उक्त प्रस्तावित योजना की जानकारी हो जाने के बाद से गरीब जनता बुजुर्ग, गरीब किसान परिवार अत्यधिक भयभीत हैं और संकट को आता देखते हुए गांव-गांव मीटिंग कर अनेकों बार स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन दे चुकें हैं और भविष्य में सरकार के खिलाफ संवैधानिक शांतिपूर्ण आन्दोलन करने की योजना बना रहे हैं। यह कि आम जनता की राय है कि हम इस योजना को अपने क्षेत्र में किसी भी सूरत में इस योजना के लिए अपनी आवासीय व कृशि भूमि देने को तैयार नहीं हैं तथा यदि सरकार द्वारा जल्द ही उक्त मामले में ठोस कदम नहीं उठाये जाते हैं तो उस दशा में संयुक्त किसान मोर्चा स्थानीय जनप्रतिनिधियों, किसान, गरीब व मजदूर नागरिकों के साथ मिलकर आन्दोलन को बाध्य होगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्वयं शासन-प्राशसन की होगी। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा विगत कई दिनों से उक्त मामले को लेकर आवाज उठायी जा रही है तथा शासन-प्रशासन से क्षेत्र की जनता को ऐसी कोई कार्यवाही भविश्य में अम्ल में न लाये जाने तक यह आन्दोलन जारी रहेगा। प्रेस वार्ता में संयुक्त किसान मोर्चा के सरदार ताजेन्द्र सिंह, सह संयोजक सुरेंद्र सिंह खालसा, गजेंद्र रावत, हाजी अमीर हसन, सरजीत सिंह, बलबीर सिंह, तेजपाल सिंह मोंटी, अजीत सिंह, प्रिंस उमेद सिंह बोरा उपस्थित थे।

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