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वीडियो…जोखिम में जिंदगी : बरसाती गाड़ बनी मोरी के ग्रामीणों के लिए मौत का सफर

देहरादून। उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक की बड़ासू पट्टी के हालात हर बरसात में सरकार और सिस्टम की पोल खोलते हैं। ओसला, गांगड, ढाटमीर और पवाणी—इन चारों गांवों को जोड़ने वाला सड़क मार्ग महीनों से बंद पड़ा है। कहीं भूस्खलन, तो कहीं धंसी सड़क और बरसाती गाड़ (नदी) का उफान ने ग्रामीणों की जिंदगी को नरक बना दिया है।  हालात यह है कि कदम कदम पर ग्रामीण जान जोखिम में डालकर अस्पताल और जरूरी काम के लिए जा पा रहे हैं।

 

आज सोशल मीडिया में वायरल ताज़ा तस्वीरों और वीडियो ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। यह वीडियो सीमांत जनपद उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक का है। यहां वीडियो में कोई बुजुर्ग महिला जान जोखिम में डालकर उफनती गाड़ पार कर रही है, तो कोई मां अपनी गोद में दुधमुंहे बच्चे को कलेजे से चिपकाकर खड़ी है। बीमार और बुजुर्ग भी इसी रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं।

गांवों के लोगों का कहना है कि उन्हें राशन, दवा या जरूरी सामान लाने के लिए 28 किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ता है। यह पैदल सफर भी कहीं भी आसान नहीं है,  खतरनाक ढलान, बहते नाले और नदी पार करने की मजबूरी हर कदम पर मौत का खतरा बनकर खड़ी होती है।लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन गांवों के लोग कब तक अपनी जान जोखिम में डालकर जिंदा रहने की जद्दोजहद करते रहेंगे? हर साल बरसात आती है, हर साल यही हालात बनते हैं, मगर सरकार के दावे और वादे सिर्फ कागजों में रह जाते हैं। यह वीडियो ग्रामीणों की पीड़ा को जगजाहिर कर जिम्मेदार पूरी व्यवस्था की लापरवाही पर करारा तमाचा है। खासकर हर साल सड़क मरम्मत और वैकल्पिक व्यवस्थाओं की बात तो बैठकों में खूब होती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह वीडियो बयां कर रहा है कि कैसे ग्रामीण अपनी जान हथेली पर रखकर उपनाई गाड़ पार कर रहे हैं। व्यवस्था को लेकर ग्रामीणों का सवाल है कि  “क्या हर बरसात में उन्हें मौत का सफर तय करने के लिए इसी तरह भगवान भरोसे छोड़ दिया जाएगा?” या व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अफसरों में भी थोड़ा भी नैतिकता बची है, जो इस विकट समस्या का समाधान निकाले। अन्यथा ग्रामीणों पर कब संकट आ जाए कहा नहीं जा सकता है।

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