उत्तराखंड में इस आईएएस अफसर ने अनाथ, असहाय और निर्धन बच्चों के साथ “दिवाली” मनाकर खुशी के “दीप” जलाए
देहरादून। उत्तराखंड में दिवाली पर्व पर जहां कुछ अफसर गिफ्ट संभाल रहे थे, वहीं डीजी सूचना एवं एजुकेशन बंशीधर तिवारी गिफ्ट लेकर अनाथ, असहाय एवं निर्धन छात्राओं के बीच पहुंचे। यहां बच्चों को गिफ्ट बांटकर डीजी तिवारी ने दिवाली पर खुशी के दीप जलाए। कार्यक्रम के दौरान जब बच्चे गीतों पर नृत्य करने लगे तो आईएएस तिवारी भी बच्चों के हौसलाअफजाई को खुद को नहीं रोक सके और बच्चों के संग पहाड़ी गीतों पर जमकर थिरकने लगे। वाकई किसी बड़े अफसर का यह सवेदनशील स्वभाव हर किसी के दिल को छूने वाला है।
यूं तो उत्तराखंड में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों की फौज है। लेकिन नेक काम करने वाले बिरले ही हैं। इन्हीं में एक अफसर जो अक्सर अपने अलग काम और कार्यशैली से चर्चाओं में रहते हैं आईएएस बंशीधर तिवारी। कम उम्र में अपने काम के बूते यह अफसर उत्तराखंड के ठेठ पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली से लेकर हरिद्वार तक हर किसी के दिलों पर राज करते हैं। आज ताजा उदाहरण छोटी दिवाली का है। डीजी सूचना, शिक्षा एवं एमडीडीए के वीसी की जिम्मेदारी के बावजूद आईएएस बंशीधर तिवारी देर शाम अचानक बनियावाला (देहरादून) स्थित नेताजी सुभाष चंद बोस आवासीय बालिका छात्रावास पहुंच गए। जहां सैकड़ों की संख्या में निर्धन, असहाय और अनाथ बालिकाएं मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने रहीं हैं, के बीच पहुंच गए। यहां आईएएस तिवारी ने पहले तो हर बेटी को दिवाली का उपहार दिया। इसके बाद उनके बीच पढ़ाई को लेकर बातचीत हुई। दिवाली के पर्व पर बच्चों को अपनों की कमी न खले, इसके लिए काफी समय बच्चों के संग बिताया। कार्यक्रम के दौरान बच्चों के मनोरंजन के लिए डीजे बजा तो आईएएस तिवारी बच्चों की खुशी के लिए अपने को रोक पाए और पहाड़ी गीतों पर बच्चों के संग थिरकने लगे। यह देख स्कूल के शिक्षक भी बच्चों की हौसला अफजाई करने लगे। काफी देर तक आईएएस तिवारी ने इन बच्चों के साथ दिवाली का पर्व मनाया। इससे बच्चों के चेहरों पर उनके अपने न होने का दर्द खुशी में लौट आया। काश ऐसे अन्य अफसर भी थोड़ी जिम्मेदारी निभाएं तो हर किसी की खुशी के दीप जलते रहेंगे। आईएएस तिवारी के इस नेक काम के लिए सल्यूट बनता है।
अपना और परिजनों का जन्मदिन मनाते
डीजी सूचना आईएएस बंशीधर तिवारी यहां आज पहली बार नहीं गए बल्कि वह अपना और परिजनों का जन्मदिन इन अनाथ, असहाय एवं निर्धन बच्चों संग मनाते हैं। इसके अलावा वह शहर के अन्य जरूरतमंद लोगों की मदद को भी हमेशा आगे रहते हैं। इन्हीं काम से वह हर किसी के दिलों में राज करते हैं। उनके इस स्नेह, अपनापन और उत्साहवर्धन की हर जगह तारीफ होती है।