उत्तराखंडकानून को ठेंगाचिंताजनक

केदारनाथ में कमाई के चक्कर में हेली कंपनियां उड़ा रही नियमों की धज्जियां, जिम्मेदार क्यों बने हुए मूक दर्शक

देहरादून। बाबा केदारनाथ के द्वार पर हेली कंपनियों ने कायदे कानून को ताक पर रखकर जमकर लूट मचा रखी है। मुनाफे के चक्कर में वर्षों पुराने हेलीकॉप्टर और नौसिखिया स्टाफ श्रद्धालुओं के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। राज्य सरकार की तरफ से नोडल से लेकर प्रशासनिक अफसरों की लंबी फौज है। लेकिन नियम तोड़ने के बाद मूक दर्शक रहने और कार्रवाई न करने में इनकी क्या मजबूरी है, इस पर सवाल उठने लाजमी है। व्यवस्था संभालने वालों की वजह से ही गत दिवस बाबा केदार के धाम में मौसम खराब होने के बावजूद घने कोहरे में उड़ान भरने वाला हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। इस हादसे में उन 7 लोगों की जान चली गई जो बाबा का आशीर्वाद लेकर खुशी खुशी लौट रहे थे। मगर, व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों ने उनकी खुशी को पलभर में मातम में बदल दिया। अब उनकी मौत सवाल छोड़ गई कि क्यों बाबा के धाम में हेली कंपनियों पर मनमानी की मेहरबानी है।

केदारनाथ धाम में हेली कंपनियों का विवादों और मनमानी से पुराना नाता है। नियमों की अनदेखी करना इनकी फितरत बन गई है। इसके पीछे यहां जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी है। कहने को तो हेली कम्पनी जीएमवीएन के अधीन संचालित होती है। इसके लिए एक नोडल अधिकारी और पूरा सेटअप बना हुआ है। लेकिन यह नोडल अधिकारी भी हेली कंपनियों के सामने वीआईपी टिकटों की व्यवस्था तक सीमित है। इसके अलावा जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी, एसडीएम, एसपी, डीएसपी और थानेदार भी यहां हेली सेवा के संचालन को करीबी से देखते हैं। किंतु हर कोई नियम तोड़ने पर इन हेली कंपनियों पर क्यों मेहरबान है, यह बात जगजाहिर है। ऐसे में सुरक्षित हेलीपैड, नियमानुसार हेली टिकटों की बुकिंग, यात्रियों को सही जानकारी देना, हेलिपैड पर यात्रियों की बैठने या सही जानकारी जैसे नियम यहां सिर्फ हवा हवाई होते हैं। टिकटों की काला बाजारी, यात्रियों से बदसलूकी, टिकट बुकिंग के बावजूद यात्रियों के साथ मनमानी करना यहां आम बात हो गई है। इसके ऊपर से डीजीसीए की तकनीकी टीमें इन हेली कंपनियों पर कब कब और कैसे नजर रखती है, यह भी बड़ा सवाल है। लेकिन यहां तो मुनाफे के लिए श्रद्धालुओं की जान की कोई कीमत नहीं है। 4 से पांच सीटर हेलीकॉप्टर में 6 से 7 लोगों को बिठाना, क्षमता से ज्यादा भार के साथ उड़ान भरना जैसे नियमों की धज्जियां उड़ाना है। हालांकि पूरे मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे के बाद उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। लेकिन यह जांच भी पुराने हादसों पर आई रिपोर्ट और कार्रवाई जैसी होगी, इसके लिए फिलहाल इंतजार करना पड़ेगा। इधर, यूकाड़ा के सीईओ रविशंकर ने कहा कि डीएम को जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

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