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आईएएस रविनाथ रमन ने फरियादियों के साथ दो घंटे की बेरुखी, फिर बोले “ऐसी शिकायतें मैं रोज रद्दी में डाल देता हूँ”

देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती का उत्सव अभी थमा भी नहीं था कि प्रदेश की नौकरशाही की संवेदनहीनता और कार्यसंस्कृति पर एक बार फिर सवाल उठ खड़े हुए हैं। मामला राज्यपाल सचिवालय के वरिष्ठ IAS अधिकारी रविनाथ रमन से जुड़ा है, जिनके एक बयान ने पूरे प्रशासनिक तंत्र की इच्छाशक्ति और जवाबदेही पर गहरी चोट की है।

दरअसल, सोमवार को भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी (उत्तराखंड शाखा) से जुड़े एक प्रतिनिधिमंडल ने सचिव राज्यपाल से मुलाकात कर संस्था के देहरादून स्थित कार्यालय में अवैध कब्जे और मनमानी की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की। यह मुलाकात विधायक विनोद चमोली के आग्रह पर तय हुई थी।

 दो घंटे इंतजार, फिर ‘रद्दी की टोकरी’ वाली टिप्पणी

शिकायतकर्ता जब सचिवालय पहुंचे, तो उन्हें करीब दो घंटे तक बाहर बैठाए रखा गया। मुलाकात होने पर रविनाथ रमन ने उनकी शिकायत सुनने के बजाय सीधे कहा ऐसी शिकायतों को मैं रोज़ रद्दी की टोकरी में डाल देता हूँ।इस टिप्पणी से फरियादियों में रोष फैल गया। जब उन्होंने आपत्ति जताई तो सचिव ने सफाई देते हुए कहा कि उनका आशय लिटरली शिकायत को रद्दी में डालना नहीं था, मतलब, वे ऐसी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं करते।

शिकायत में क्या है मामला

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि 6 नवंबर 2025 को हुई भारतीय रेड क्रॉस समिति उत्तराखंड की राज्य प्रबंध समिति की बैठक में विधिवत नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। चेयरमैन: ओंकार बहुगुणा (जिला उत्तरकाशी), वाइस चेयरमैन: मनोज सनवाल (जिला अल्मोड़ा), कोषाध्यक्ष: मोहन खत्री (पूर्व पदाधिकारी, यथावत)लेकिन समिति की बैठक के बावजूद संस्था के राज्य कार्यालय की चाबियां व अभिलेख पूर्व पदाधिकारी नरेश चौधरी के कब्जे में हैं। इसके चलते कार्यालय में ताले लगे हुए हैं और कर्मचारी दैनिक कार्य नहीं कर पा रहे हैं।

शिकायत में राज्यपाल सचिवालय से अनुरोध किया गया था कि कार्यालय की चाबियां वर्तमान कार्यकारिणी को दिलाने में प्रशासनिक और पुलिस सहयोग प्रदान किया जाए, ताकि संस्था का कार्य नियमित रूप से चल सके। लेकिन आईएएस रविनाथ रमन का यह बयान सोशल और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। लोग कह रहे हैं कि जब राज्य स्थापना की रजत जयंती पर सरकार सुशासन और जनसुनवाई की बातें कर रही थी, उसी वक्त सचिवालय में बैठा एक अधिकारी जनभावनाओं को “रद्दी की टोकरी” में डालने की बात कर रहा था।अब यह मामला सिर्फ एक शिकायत का नहीं, बल्कि उस मानसिकता का प्रतीक बन गया है जो आम जनता और सत्ता-संविधान के बीच की दूरी को और गहरा करती है।

 शिकायत में उठाए गए प्रमुख मुद्दे

1️⃣ जीएसटी और टीडीएस के भुगतान में देरी से आर्थिक दंड बढ़ रहा है।
2️⃣ बिजली और पानी के बिल अदा न होने से सेवाएं बाधित होने की आशंका।
3️⃣ रेड क्रॉस के प्रशिक्षण कार्यक्रम और यूथ रेड क्रॉस गतिविधियां ठप।
4️⃣ कार्यरत कर्मचारियों को अक्टूबर 2025 का वेतन और ईपीएफ नहीं मिला।
5️⃣ राज्यपाल के निर्देशन में चल रही गतिविधियों पर भी असर पड़ा है।

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