स्पेन के ‘टोमेटो फेस्ट’ से अद्भुत और पौराणिक है दयारा का “बटर फेस्टिवल”!

संतोष भट्ट, देहरादून। यूं तो देश-दुनिया में पौराणिक और सांस्कृतिक उत्सवों की लंबी सूची है। लेकिन संस्कृति, प्रकृति के साथ पौराणिक परंपराओं और धार्मिकता के समागम के साथ मनाए जाने वाले उत्तराखंड के दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल का अलग ही आनंद है। यहां करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर 28 वर्ग किमी तक फैली मखमली घास (बुग्याल) के मैदान पर दूध, मट्ठा और मक्खन की होली यानी बटर फेस्टिवल की अनूठी परंपरा हर किसी को रोमांचित कर लोक संस्कृति में डूब जाने का अविस्मरणीय पल है। ऐसे में बटर फेस्टिवल स्पेन का ला टोमेटिना (स्पेनिश उच्चारण) यानि टोमेटो फेस्टिवल से भी खास फेस्टिवल की सूची में टॉप में शुमार कर देता है। यही कारण है कि अब बटर फेस्टिवल में हर साल देशी-विदेशी पर्यटकों की आमद बढ़ने से इसकी लोकप्रियता दुनियाभर में फैल रही है।
स्पेन के प्रसिद्ध टेमोटे फेस्टिवल से सभी वाकिफ हैं। हर साल 30 अगस्त को होने वाले इस फेस्टिवल में भाग लेने के लिए अपने देश भारत से लेकर दुनियाभर से भी तमाम लोग शामिल होते हैं। लेकिन इससे हटकर देवभूमि उत्तराखंड का बटर फेस्टिवल भी कम रोमांचकारी नहीं है।ठीक वैसे ही जैसे टोमेटो फेस्टिवल में लोग टमाटर एक दूसरे पर फेंक कर मारते हैं या उसका पल्प बनाकर (मसलकर) एक दूसरे पर लगाकर प्रकृति का आभार जताते हैं, उसी तरह बटर फेस्टिवल में भी ग्रामीणों से लेकर देश-दुनिया से आने वाले पर्यटक दूध, मट्ठा (छाछ) मक्खन को प्रकृति के सम्मान में एक दूसरे पर लगाकर या होली के रूप में खेलकर देवी देवताओं और प्रकृति से सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। यही कारण है कि इस उत्सव मनाने के लिए हजारों की संख्या में लोग उत्तराखंड प्रदेश के सीमांत जिला उत्तरकाशी में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर एकत्रित होते हैं। यह पर्व भी हर साल संक्रांति(संग्राद) के दिन 15, 16 या 17 अगस्त (तिथि के अनुसार) को मनाया जाता है। इस पर्व मनाने का श्रेय पँचगाई क्षेत्र के रैथल गांव के लोगों को जाता है।
मान्यता है कि फाल्गुन मास यानि मार्च महीने के दौरान खेले जाने वाला रंगों का त्यौहार होली भी किसी पहचान का मोहताज नहीं है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित रैथल गांव के ग्रामीण हर साल अगस्त महीने के मध्य में प्रकृति को ईश्वर का दर्जा देकर उसका आभार जताते हुए मक्खन, छाछ, दूध की होली खेलते हैं। बटर फेस्टिवल को स्थानीय नाम अढूंडी उत्सव के नाम से जाना जाता है, जो हर साल रैथल के ग्रामीण दयारा बुग्याल में मनाते हैं। पौराणिक पारंपरिक रूप से ग्रामीणों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्यौहार अब देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र बनने लगा है। इस साल भी 16 अगस्त को दयारा बुग्याल में रैथल के ग्रामीणों के साथ देश-विदेश से पर्यटक बटर फेस्टिवल की इस अनूठी होली खेलने के लिए पहुंच रहे हैं। इस पर्व तैयारी जोरों पर चल रही है।
पंचगई पट्टी के लोग तैयारी में जुटे
बटर फेस्टिवल में इस बार रैथल गांव के साथ भटवाड़ी, नटीण, क्यार्क, बन्द्राणी के लोग भी शामिल है। पांच गाँव को पँचगाईं पट्टी के नाम से जाना जाता है। इसके लिए समिति ने पांचों गांवों को दयारा पर्यटन सर्किट से जोड़ने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है।
इसलिए मनाया जाता बटर फेस्टिवल
प्रकृति को ईश्वर का दर्जा देकर उसके द्वारा किए गए उपकारों के बदले उत्तरकाशी जनपद के रैथल के ग्रामीण एक ऐसा जश्न मनाते हैं, जो खुद में बेहद अनूठा है। बुग्यालों में अपने मवेशियों के साथ गर्मियों की दस्तक के साथ पहुंचने वाले ग्रामीण मानसून बीतने के साथ ही वापस गांव की ओर लौटने लगते हैं। लेकिन, इस बीच बुग्यालों में उगने वाले औषधीय गुणों से भरपूर घास, पौधों और कई किमी लंबे फैले बुग्याल की घास चरने के चलते दुधारू मवेशियों के दूध में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी भी होती है। ग्रामीण जब बुग्याल स्थित यहां की छानियों (वन क्षेत्र में अस्थाई प्रवास स्थल) से लौटने की तैयारी करने लगते हैं तो अपने मवेशियों को सुरक्षित रखने, दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए ग्रामीण कुदरत का आभार जताना नहीं भूलते, जिसके बूते यह संभव हुआ। लिहाजा, श्रावण मास बीतते ही भाद्रपद की पहली तिथि यानि संक्रांति को ग्रामीण यहां दूध मक्खन, छाछ मट्ठा की होली का आयोजन करते हैं। इस मेले के आयोजन के कुछ दिनों बाद ही ग्रामीण बुग्यालों से शीतकालीन प्रवास के लिए गांव की ओर मवेशियों के साथ लौटने लगते हैं।
28 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है दयारा बुग्याल
यह अनोखा आयोजन रैथल के ग्रामीणों की ओर से समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई व 28 वर्ग किमी में फैले दयारा बुग्याल में किया जाता है। दयारा बुग्याल बीते सालों में ट्रैकिंग के शौकीनों के बीच विंटर ट्रैक के रूप में खूब प्रसिद्ध हुआ है। हालांकि बुग्याल तक पूरे साल भर ट्रैकिंग की जा सकती है और मानसून के दौरान रंग बिरंगे फूलों की चादर ओढ़े दयारा बुग्याल में ट्रेकिंग करना एक अलग अनुभव है। इसी दयारा बुग्याल में रैथल के ग्रामीणों की ओर से यह अनोखा बटर फेस्टिवल यानि अढूडी उत्सव सदियों से पारंपरिक रूप से मनाया जा रहा है। दो दशक से पहले ग्रामीणों ने इसे पर्यटन से जोड़ने की योजना बनाई तो रैथल के ग्रामीणों ने दयारा पर्यटन उत्सव समिति का गठन किया। बीते कई सालों से दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल की ओर से दयारा बुग्याल में इस बटर फेस्टिवल का बड़े स्तर पर आयोजन किया जाता है जिससे देश विदेश के पर्यटक भी इस अनूठे उत्सव के गवाह बन सके।
फेस्टिवल की तैयारी में जुटी समिति
इस वर्ष 16 अगस्त को दयारा बुग्याल में दयारा पर्यटन उत्सव समिति अढूंडी उत्सव का आयोजन कर रहा है। समिति के अध्यक्ष मनोज राणा ने बताया कि हर साल संक्रांति के पर्व पर यह फेस्टिवल मनाया जाता है। फेस्टिवल की पौराणिकता, धार्मिकता को बनाए रखने के प्रयास समिति कर रही है। साथ ही फेस्टिवल को दुनिया के प्रमुख पौराणिक फेस्टिवल में शामिल किए जाने की कवायद चल रही है। खासकर संस्कृति विभाग की ओर से सांस्कृतिक दलों द्वारा रंगारंग सांस्कृति कार्यक्रम भी इस फेस्टिवल में प्रस्तुत किए जाते हैं।जबकि वन और पर्यटन विभाग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ऐसे पहुंच सकते बटर फेस्टिवल में
दयारा पर्यटन विकास उत्सव समिति के अध्यक्ष मनोज राणा ने बताया कि दयारा बुग्याल तक रैथल गांव से 7 किमी की पैदल दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है। घने जंगलों के बीच से गुजर कर जाता यह ट्रैक बेहद खूबसूरत होने के साथ ही कुदरत के कई अलग अलग रूपों से भी रूबरू करवाता है। रैथल गांव, देहरादून और ऋषिकेश से करीब 185 से 210 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां देहरादून से मसूरी, सुवाखोली, चिन्यालीसौड़, उत्तरकाशी, भटवाड़ी, रैथल या भटवाड़ी से बारसू गांव तक गाड़ी से और इसके बाद 7 किमी ट्रैकिंग कर पहुंच सकते हैं।
रैथल गांव में बने होम स्टे में ठहरें
हर साल अगस्त माह में आयोजित होने वाले बटर फेस्टिवल में अगर आप हिस्सा लेना चाहते हैं तो आपको एक दिन पहले रैथल गांव पहुंचना पड़ेगा। रैथल गांव समुद्रतल से 7 हजार फीट की उंचाई पर स्थित है और यहां से गंगोत्री हिमालय रेंज का शानदार दृश्य आकर्षण का केंद्र रहता है। रैथल गांव में बीस से अधिक होमस्टे संचालित हो रहे हैं। यहां पहुंचकर आप आसानी से किसी भी होमस्टे में कमरा लेकर ठहर सकते हैं और अगली सुबह दयारा बुग्याल के लिए ट्रेकिंग शुरू कर सकते हैं। आप जिस होमस्टे में ठहर रहे हो, वहां से दयारा बुग्याल में रात गुजारने की व्यवस्था करवा सकते हो, क्योंकि बुग्याल में टेंट लगवाने पर प्रतिबंध है और वहां रहने के भी सीमित साधन हैं। लिहाजा, आप दयारा के लिए निकलने से पहले रैथल में जिस होमस्टे में ठहरे हो, वहां से ही रहने की व्यवस्था करवा सकते हो। दयारा बुग्याल का 7 किमी ट्रैक बेहद खूबसूरत है। दयारा बुग्याल के नजारों का लुत्फ लेने के साथ ही बटर फेस्टिवल का हिस्सा बनकर मक्खन, दूध, मट्ठा की इस होली में खुद को खूब भिगोकर आप जब वापस रैथल लौटेंगे तो जीवन को एक नए नजरिए और नई ऊर्जा से सराबोर पाएंगे।