देहरादून। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में कल होली खेली गई। जबकि कुमाऊं मंडल में आज होली खेली जा रही है। दोनों जगह होली अलग-अलग दिन खेले जाने के पीछे वजह है। बता दें, कि अपनी खास परंपरागत तरीकों और अनोखे ढंग से मनाए जाने के कारण कुमाऊं की होली की देशभर में चर्चा होती है।
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में आज शनिवार को होली खेली जा रही है। 18 को भद्रा के कारण यहां लोगों ने होली नहीं मनाई है। आज सुबह से यहां होली का जश्न मनाया जा रहा है। यूं तो होली पूरे देश में उल्लास के साथ मनाई जाती है, लेकिन चंपावत जिले में ढोल नगाड़ों की धुन और लय-ताल और नृत्य के साथ गाई जाने वाली खड़ी होली अपना विशेष स्थान रखती है। संगीत सुरों के बीच बैठकी होली के भक्ति, शृंगार, संयोग, वियोग से भरे गीत गाने की परंपरा काली कुमाऊं अंचल के गांव-गांव में चली आ रही है। एकादशी को रंगों की शुरूआत के बाद गांव-गांव में ढोल-झांझर और पैरों की विशेष कदम ताल के साथ खड़ी होली गायन चलता है। इसी दिन चीर बंधन के साथ शिव स्तुति से होली गायन शुरू किया जाता है। इसमें शिव के मन माहि बसे काशी…, हरि धरै मुकुट खेले होरी… शामिल है। आध्यात्मिक रसों, भक्ति, शृंगार आदि से जुड़ीं होलियों का गायन छरड़ी तक किया जाता है। इसके अलावा परिवार, समाज में होने वाली विभिन्न घटनाओं, स्त्री पुरुष प्रसंग, हास्य ठिठोली से भरी होलियां भी गाई जाती हैं।