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राष्ट्रभाषा की अधिकारिणी हिन्दी मात्र राजभाषा बनकर न रहे, सम्मान दिलाने की जरूरत

देहरादून। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार (गढ़वाल) में हिन्दी दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान हिंदी को सम्मान दिलाने से ही हिंदी दिवस की प्रांसगिकता है। इस दौरान हिंदी की दिशा और दशा पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

हिंदी दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी  का शुभारंभ का प्रो डीएस नेगी द्वारा किया गया। अपने संबोधन में प्राचार्य प्रो नेगी ने कहा कि राष्ट्रभाषा की अधिकारिणी हिन्दी मात्र राजभाषा बनकर रह गयी है। हमे अपने प्रयासों से उसे सम्मान दिलाना है और यही हिन्दी दिवस मनाये जाने की प्रासंगिकता हैै। यह हमारे ऋषि मुनियों की परंपरा है जो संस्कृति रूप में फलफूल रही है। इस मौके पर हिन्दी की विभाग प्रभारी डाॅ0 मीरा कुमारी ने हिन्दी दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उसकी आवश्यकता पर बल दिया। डाॅ0 कपिल थपलियाल ने हिन्दी की संवैधानिक स्थिति पर विचार साझा किया। डाॅ0 सुमन कुकरेती ने कहा कि एक मात्र हिन्दी ही वह माध्यम है जो समूचे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने में सक्षम हैं। डाॅ0 विजयलक्ष्मी भाषा की प्राचीन परंपरा पर अपने विचार रखे।

इस मौके पर हिन्दी दिवस की प्रासंगिकता विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें नवीन बिष्ट बीए प्रथम सेमेस्टर ने प्रथम, एकता एमए प्रथम सेमेस्टर ने द्वितीय और वैशाली बीए प्रथम सेमेस्टर ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

 

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