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नैनीताल जिला पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट सख्त, अपहरण-गोलियों से बिगड़ी सुचिता पर तल्ख टिप्पणियां

नैनीताल। जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव ने उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस के पाँच सदस्यों के रहस्यमय ढंग से गायब होने, उनके अपहरण के आरोप, मतदान स्थल के पास पुलिस मौजूदगी में गोली चलने और हिस्ट्रीशीटर की उपस्थिति तक की घटनाओं ने चुनाव की सुचिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। इस पूरे प्रकरण पर नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सोमवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने पुलिस की लापरवाही और खुफिया एजेंसियों की विफलता पर तीखी टिप्पणियां कीं। अदालत ने एसएसपी से मंगलवार तक शपथपत्र दाखिल करने और विस्तृत जवाब पेश करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।

कोर्ट में सुनवाई से पहले सुरक्षा के मद्देनज़र परिसर से 500 मीटर दायरे में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई थी। इस दौरान कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ ने वर्चुअल बहस करते हुए आरोप लगाया कि चुनाव में धनबल और बाहुबल का खुलेआम प्रयोग हुआ और कानून की धज्जियां उड़ाई गईं। वहीं जिलाधिकारी वंदना ने दलील दी कि निर्वाचन नियमावली के चलते चुनाव रोकने का अधिकार उनके पास नहीं था, इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग को रिमाइंडर भेजे गए। इसी बीच लापता कांग्रेस सदस्यों का एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि उनका अपहरण नहीं हुआ बल्कि वे अपनी मर्जी से गए थे। हालांकि कांग्रेस ने इसे “साजिश और दबाव” करार देते हुए चुनाव रद्द करने की मांग की है।

इस प्रकरण में पुलिस ने कांग्रेस नेताओं की तहरीर पर भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट, प्रत्याशी के पति आनंद दर्मवाल समेत 11 नामजद और 15–20 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। अब मंगलवार को इस मामले की अगली सुनवाई होगी। अदालत के लिखित आदेश और आयोग की भूमिका पर ही यह तय होगा कि जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव परिणाम घोषित होगा या रद्द।

 

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