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यमुनोत्री हाईवे पर स्यानाचट्टी झील से आधा बाजार, पुल और सड़क जलमग्न

देहरादून। गंगा घाटी के हर्षिल गंगोत्री हाईवे के बाद आपदा ने यमुनाघाटी में भी खतरे की दस्तक दे दी है। यहां यमुनोत्री हाईवे पर स्यानाचट्टी में कृत्रिम झील बनने से हाईवे, पुल और आधा शहर जलमग्न हो गया है, इस घटना के बाद प्रशासन ने करीब 150 लोग सुरक्षित स्थानों पर भेज दिए हैं। झील बनने से होटल-घरों की पहली मंजिल तक पानी घुस गया है, इससे गीठ पट्टी समेत यमुनोत्री धाम का संपर्क देश दुनिया से कट गया है।

यमुनाघाटी में आपदा का खतरा एक बार फिर बड़ा रूप लेता दिख रहा है। स्यानाचट्टी क्षेत्र में गुरुवार देर रात कुपड़ा गाड़ स्थानीय नाम गढ़गाड़ नाले से भारी मात्रा में मलबा और पानी यमुना नदी में आने से नदी का प्रवाह अवरुद्ध हो गया। नदी का बहाव रुकने से यहां अचानक एक विशाल कृत्रिम झील बन गई। इस झील का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे आसपास बसे गांवों और बाजार क्षेत्र में दहशत का माहौल है। झील का पानी बढ़ने से स्यानाचट्टी बाजार में बने कई होटलों और घरों की पहली मंजिलें पूरी तरह से जलमग्न हो गई हैं। हालात गंभीर होते देख प्रशासन हरकत में आया और करीब 150 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया।

घटना के बाद प्रशासनिक अमला पहुंचा मौके पर

इस घटना के बाद सरकार ने मौके पर प्रशासन की तमाम टीम में भेज दी गई है. यहां देर रात तक एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस, फायर सर्विस, सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग की टीमें मौके पर मौजूद रहकर राहत-बचाव कार्य में जुटी हैं। उप जिलाधिकारी बड़कोट स्वयं घटनास्थल पर रहकर हर पल की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

गीठ पट्टी समेत यमुनोत्री धाम तक अलर्ट

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने ओजरी, पूजारगांव, पाली गांव, खराड़ी, कुथनौर और स्यानाचट्टी को अलर्ट पर रखा है। ग्रामीणों को सतर्क रहने और नदी किनारे न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।

लगातार गिर रहा मलबा और बोल्डर

जानकारी के अनुसार, स्याना मोटर पुल से करीब 200 मीटर आगे स्थित कुपड़ा गाड़ से लगातार बरसाती मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर यमुना नदी में गिर रहे हैं। इससे नदी की धारा पूरी तरह अवरुद्ध हो गई है और विशाल झील का रूप बन गया है। अभी झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और यह खतरा मोटर पुल तक पहुंचने की स्थिति में है।

स्थानीयों में बढ़ी चिंता, पुरानी घटना ताजा हुई

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थिति नई नहीं है। इससे पहले भी इसी स्थान पर झील बनने से संकट खड़ा हो चुका है। तब सिंचाई विभाग ने नदी के मुहाने को पंचर कर मैनुअल तरीके से पानी का बहाव शुरू किया था। अब एक बार फिर जलस्तर बढ़ने से लोगों में भारी चिंता है। व्यापारियों का कहना है कि होटलों और दुकानों में पानी भरने से लाखों का नुकसान हो रहा है। वहीं, ग्रामीण अपने घरों को लेकर चिंतित हैं।

प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती

प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती झील के जलस्तर को नियंत्रित करना और नीचे बसे क्षेत्रों को सुरक्षित करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि झील अचानक टूटी तो भारी तबाही हो सकती है। ऐसे में सभी विभाग लगातार समन्वय बनाकर हालात को काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं।

स्यानाचट्टी आपदा के महत्वपूर्ण तथ्य

-सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किए गए लोग – लगभग 150

-झील में जलमग्न होटल – पहली मंजिल तक पानी

-अलर्ट पर रखे गए गांव – ओजरी, पूजारगांव, पाली गांव, खराड़ी, कुथनौर और स्यानाचट्टी

-मुख्य खतरा – नदी का प्रवाह बाधित, मोटर पुल तक बढ़ता जलस्तर-

-राहत टीमें – एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस, फायर सर्विस, सिंचाई विभाग और राजस्व विभाग

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