हाकम सिंह: पूर्व आईएएस के रसोईया से कुख्यात नकल माफिया तक का सफर
फिर बेनकाब हुआ कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह, स्नातक स्तरीय परीक्षा से पहले STF और पुलिस की बड़ी कार्रवाई

देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की रविवार को प्रस्तावित स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा से ठीक पहले दून पुलिस और STF ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह को फिर से दबोच लिया। हाकम अपने सहयोगी पंकज गौड़ के साथ मिलकर अभ्यर्थियों को पास कराने का झांसा देकर 12 से 15 लाख रुपये तक की मोटी रकम वसूलने की फिराक में था।
पहले भी नकल कांड में गिरफ्तार, भाजपा से निष्कासित
हाकम सिंह का नाम उत्तराखंड की भर्ती परीक्षाओं में धांधली से नया नहीं है। 13 अगस्त 2022 को STF ने उसे पहली बार पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था। उसी समय भाजपा ने उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उस पर गैंगस्टर एक्ट तक के मुकदमे दर्ज हुए। 5 सितंबर 2023 को उसे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।
इस बार कैसे हुआ पर्दाफाश
SSP देहरादून अजय सिंह और STF SSP नवनीत सिंह भुल्लर ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि परीक्षा से महज दो दिन पहले खुफिया इनपुट मिला कि गिरोह अभ्यर्थियों को पास कराने के नाम पर ठगी का जाल बिछा रहा है। जांच में सामने आया कि पंकज गौड़ नामक अभ्यर्थी हाकम से जुड़ा हुआ है। दोनों ने कम से कम छह अभ्यर्थियों से संपर्क कर 12–15 लाख रुपये तक की डील की थी।
गिरोह की योजना थी कि यदि अभ्यर्थी स्वयं चयनित हो जाते तो उनसे पूरा पैसा वसूल लिया जाता, और यदि असफल रहते तो अगली परीक्षा में मदद का झांसा देकर रकम एडजस्ट करने की बात कही जाती।
पटेलनगर पुलिस ने किया गिरफ्तारी
देहरादून पुलिस और STF की संयुक्त टीम ने दोनों आरोपितों को पटेलनगर क्षेत्र से गिरफ्तार किया। उनके खिलाफ उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश 2023 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
परीक्षा की सुचिता पर कोई असर नहीं
STF SSP नवनीत भुल्लर ने साफ किया कि इस पूरे प्रकरण से परीक्षा की गोपनीयता और सुचिता पर कोई आंच नहीं आई है। वहीं UKSSSC अध्यक्ष जी.एस. मर्तोलिया ने भी पुष्टि की कि परीक्षा निर्धारित समय पर ही आयोजित होगी।
नकल माफिया बनने तक का सफर
उत्तरकाशी जिले के मोरी क्षेत्र के रहने वाले हाकम सिंह का सफर बेहद मामूली नौकरी से शुरू हुआ।
- शुरुआत में वह एक प्रशासनिक अधिकारी के घर कुक था।
- अधिकारी के हरिद्वार तबादले के दौरान उसका संपर्क आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से हुआ और वह नकल माफिया गिरोह से जुड़ गया।
- धीरे-धीरे उसने उत्तराखंड में अपनी जमीन तैयार की और राजनीति का सहारा लेकर अपना नेटवर्क मजबूत किया।
राजनीति और कारोबार का सहारा
2008 में पंचायत राजनीति में सक्रिय हुआ और 2019 में जिला पंचायत सदस्य चुना गया। राजनीतिक रसूख ने उसे अफसरों और नेताओं तक सीधी पहुंच दिलाई। ठेकेदारी और कारोबार में पैर जमाकर उसने अकूत संपत्ति बनाई और सांकरी में आलीशान रिसॉर्ट खड़ा किया।
पहली गिरफ्तारी और कार्रवाई
2022 में जब नकल कांड सामने आया तो STF ने उसे गिरफ्तार किया। भाजपा ने तत्काल निष्कासित कर दिया और प्रशासन ने उसके रिसॉर्ट का हिस्सा अतिक्रमण मानकर ध्वस्त कर दिया। 2023 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, लेकिन 2025 में उसने फिर वही धंधा शुरू करने की कोशिश की और इस बार भी सलाखों के पीछे पहुंच गया।
हाकम सिंह प्रकरण की मुख्य घटनाएँ
- 2000 दशक: अधिकारी के कुक के रूप में काम शुरू, आपराधिक संपर्क बने।
- 2008: पंचायत राजनीति में प्रवेश।
- 2019: जिला पंचायत सदस्य चुना गया।
- 2020–21: ठेकेदारी व कारोबार में सक्रिय।
- 13 अगस्त 2022: UKSSSC स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक मामले में पहली गिरफ्तारी।
- सितम्बर 2022: भाजपा से निष्कासन, रिसॉर्ट ध्वस्त।
- 5 सितम्बर 2023: सुप्रीम कोर्ट से जमानत।
- 2024: नेटवर्क सक्रिय करने की कोशिश।
- सितम्बर 2025: स्नातक स्तरीय परीक्षा से पूर्व STF द्वारा दोबारा गिरफ्तार।
- उत्तराखंड भर्ती परीक्षाओं में नकल/धांधली के प्रमुख मामले (2022–2025)
🔹 2022 – UKSSSC स्नातक स्तरीय परीक्षा: पेपर लीक, परीक्षा रद्द।
🔹 2022 – UKSSSC सचिवालय रक्षक परीक्षा: संगठित गिरोह सक्रिय, धांधली उजागर।
🔹 2022 – विधानसभा भर्ती घोटाला: रिश्तेदारों को नियम दरकिनार कर नियुक्ति, बाद में निरस्त।
🔹 2023 – पटवारी-लेखपाल परीक्षा: पेपर लीक घर से, आयोग कर्मचारी गिरफ्तार।
🔹 2023 – फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा: ब्लूटूथ डिवाइस से नकल की कोशिश, ₹4 लाख प्रति अभ्यर्थी डील।
🔹 2023 – अन्य परीक्षाएं: लगभग 200 अभ्यर्थी “अनफेयर मीन्स” में पकड़े गए।
🔹 2024 – कोई बड़ा पेपर लीक नहीं, पर जांच और ट्रायल जारी।
🔹 2025 – स्नातक स्तरीय परीक्षा: हाकम सिंह गिरोह फिर सक्रिय, STF ने पर्दाफाश किया।
कानून का शिकंजा और सख्ती
फरवरी 2023 में लागू उत्तराखंड नकल विरोधी अध्यादेश में
- नकल/पेपर लीक पर 10 साल से आजीवन कारावास तक की सजा,
- दोषियों की संपत्ति जब्ती,
- अब तक 80 से ज्यादा गिरफ्तारियां (2022–2025),
- UKPSC ने 100 से अधिक अभ्यर्थियों को 5 साल के लिए डिबार किया है।