उत्तराखंडग्लेशियर को खतरा

गोमुख ग्लेशियर पर भी पड़ रहा ग्लोबल वार्मिंग का असर, तेजी से पिघल रहा ग्लेशियर, बढ़ती गर्मी से टूट रहे हिमखंड

देहरादून। राष्ट्रीय नदी गंगा का उद्गम गोमुख पर भी इस साल ग्लोबल वार्मिंग का खतरा मंडरा रहा है। अप्रैल माह से ही सूर्य का पारा चढ़ने से गोमुख ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है। यहां तक वर्षों पुरानी ग्लेशियर से हिमखंड भी टूट कर मुहाने पर बिखर रहे हैं। इसके अलावा गोमुख ग्लेशियर पिघलने से तपोवन को जाने वाला पैदल मार्ग भी धीरे धीरे ग्लेशियर के मलबे से पट रहा है। हाल ही में गोमुख यात्रा कर लौटे दल ने जो तस्वीरें पेश की उससे गोमुख ग्लेशियर को लेकर वैज्ञानिक भी चिंतित हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने कहा कि बढ़ते तापमान का असर गोमुख समेत अन्य ग्लेशियरों पर पड़ रहा है। अभी उनका अध्ययन चल रहा है। जैसे ही रिपोर्ट तैयार होगी, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

कोरोना काल के दो साल ने जहां पर्यावरण को सुरक्षा कवच दिया है, वहीं इस साल मार्च से ही गर्मी का अहसास शुरू हो गया था। अप्रैल में पारा इस कदर बढ़ा कि तापमान नीचे उतरने का नाम नहीं ले रहा है। गर्मी ने अप्रैल और मई पहले सप्ताह के पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। इससे अब मई दूसरे पखवाड़े से लेकर जून की तपती गर्मी की चिंता सभी को सता रही है। गर्मी इस कदर बढ़ रही कि मई माह में लू से आम से खास भी परेशान हैं। ऐसे में इस तपती गर्मी से पर्यावरण पर भी सीधा असर पड़ रहा है। खासकर इस साल जंगलों में लगी आग ने भी तापमान को दोगुना कर दिया। इसका असर मैदनी क्षेत्र से लेकर ठेठ ग्लेशियर क्षेत्र पर पड़ा है। हाल ही में चारधाम के कपाट खुले। ऐसे में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में मानवीय चहलकदमी और सैकड़ों वाहनों की आवाजाही शुरू हुई। जिससे उच्च हिमालय का तापमान में बढ़ोतरी हुई है। गंगोत्री घाटी में भी इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है। खासकर गंगा के उद्गम गोमुख ग्लेशियर पर इस साल गर्मी का असर देखने को मिल रहा है। गोमुख दर्शन कर लौट टूर ऑपरेटर एवं बर्फीले हिमालय क्षेत्र के अनुभवी गाइड महेश रावत ने बताया कि गोमुख ग्लेशियर पिछले साल की तुलना में काफी बदला हुआ नजर आ रहा है। उन्होंने बताया कि गोमुख से जहां इस साल पानी ज्यादा मटमैला आ रहा है, वहीं पुराने ग्लेशियर के हिमखंड भी टूट कर बिखर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी वह मई माह में यहां गए थे। लेकिन इस साल गोमुख का मुहाना कुछ बदला बदला लग रहा है। उन्होंने बताया कि गोमुख से तपोवन जाने वाला मार्ग भी तेजी से भूस्खलन की चपेट में आया है। इससे अब मार्ग से पैदल जाना मुमकिन नहीं है। जारी……..

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