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एफआरआई में पिछले 8 साल तक फिल्म शूटिंग के एवज में मिले शुल्क का रिकॉर्ड नहीं

देहरादून। उत्तराखंड के दून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (FRI) फिल्म निर्माताओं के लिए एक पसंदीदा जगह बना हुआ है। प्राचीन परिसर और वास्तुकला ने इसे विभिन्न निर्माणों के लिए अक्सर पसंद किया है। कई ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्मों की शूटिंग यहाँ की गई है। इससे एफआरआई को मोटी कमाई फिल्म शूटिंग शुल्क से हुई है। लेकिन वर्ष 2001 से 2008 तक कितना शुल्क मिला, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

राज्य के आरटीआई एक्टिविस्ट राजू गुसाईं ने वन अनुसंधान संस्थान (FRI)  से फिल्म निर्माताओं से शूटिंग शुल्क के रूप में हुई आय का व्यौरा मांगा। आरटीआई से पता चलता है कि शूटिंग के जरिए अर्जित राजस्व से संबंधित वन अनुसंधान संस्थानों के 2001-2008 के रिकॉर्ड का पता नहीं चल पाया है। जबकि अन्य सालों का पूरा विवरण मौजूद है। संस्थान को 2023 में फिल्म निर्माताओं से 32 लाख रुपये कमाकर सबसे अधिक राजस्व दर्ज किया। हालांकि 2024 में, आय में भारी गिरावट आई और यह 6 लाख रह गई। एफआरआई ने आरटीआई के माध्यम से फिल्म निर्माण से अर्जित राजस्व का सोलह साल का डेटा उपलब्ध कराया है। राजू गुसाईं को दिए गए जवाब में, वन अनुसंधान संस्थान ने 2009 से 2024 तक के डेटा का खुलासा किया। इस जानकारी में शूटिंग की अनुमति प्राप्त करने के लिए आधिकारिक मंजूरी और उच्च शुल्क, लगभग 75,000 रुपये प्रति दिन की आवश्यकता होती है। इसलिए केवल बड़े प्रोडक्शन हाउस ही FRI में शूटिंग का खर्च उठा सकते हैं। ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’, ‘दुल्हन एक रात की’, ‘कृष्णा कॉटेज’, ‘रहना है तेरे दिल में’, ‘404’, ‘पान सिंह तोमर’, ‘ननबन’, ‘दिल्ली खबर’, ‘यारा’, ‘जीनियस’, ‘डियर डैडी’ और ‘महर्षि’ जैसी कई फिल्में एफआरआई में प्रदर्शित हुईं।

एफआरआई में वर्षवार आय का विवरण

वन अनुसंधान संस्थान ने 2009 में 50,000 रुपये, 2010 में 6.25 लाख रुपये, 2011 में 7.50 लाख रुपये, 2012 में 1 लाख रुपये, 2013 में 6 लाख रुपये, 2014 और 15 में 2 लाख रुपये, 2016 में शून्य रुपये, 2017 में 3.75 लाख रुपये, 2018 में 22 लाख रुपये, 2019 में 18 लाख रुपये, 2020 और 2021 में शून्य रुपये (कोविड लॉकडाउन), 2022 में 4 लाख रुपये, 2023 में 32.02 लाख रुपये और 2024 में 6 लाख रुपये कमाए।

 

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