डीजी सूचना ने सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार के खिलाफ कप्तान को लिखा पत्र, कार्रवाई का अनुरोध

देहरादून। उत्तराखंड में सूचना तंत्र के शीर्ष पद पर कार्यरत महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार को गंभीरता से लेते हुए कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून को एक औपचारिक पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश में लगे व्यक्तियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए।

महानिदेशक तिवारी ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि कतिपय व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया, विशेषकर फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर मेरी छवि को धूमिल करने की साजिश के तहत बिना किसी तथ्य या प्रमाण के भ्रामक और झूठी बातें फैलाई जा रही हैं, जिससे मेरी सामाजिक और प्रशासनिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई जा रही है।उन्होंने कहा कि इस तरह की बिना साक्ष्य की पोस्टें न केवल व्यक्तिगत मानहानि का मामला हैं, बल्कि यह राज्य सरकार की छवि पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
सूत्रों के अनुसार, महानिदेशक तिवारी की ओर से एसएसपी देहरादून को लिखे पत्र के साथ उन पोस्टों की छायाप्रतियाँ (स्क्रीनशॉट्स) भी संलग्न की गई हैं, जिन पर आपत्ति जताई गई है। सूचना विभाग की ओर से यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर लगातार बढ़ रहे फर्जी और भ्रामक प्रचार पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। जानकारी के अनुसार, एसएसपी कार्यालय द्वारा पत्र प्राप्त होने के बाद मामले को साइबर सेल को भेजे जाने की संभावना है। पुलिस अब उन यूजर अकाउंट्स की पहचान करेगी, जिनसे ये पोस्टें की गई थीं। यदि प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए गए, तो आईटी एक्ट की धारा 66ए (साइबर मानहानि) सहित अन्य प्रासंगिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की जा सकती है।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी अब सोशल मीडिया पर फर्जी प्रचार और अफवाहों को लेकर सख्त रुख अपनाने के मूड में हैं। सूत्रों का कहना है कि भविष्य में विभाग स्तर पर भी ऐसे मामलों को ट्रैक और मॉनिटर करने के लिए समर्पित तंत्र विकसित किया जा सकता है, ताकि किसी भी प्रकार का दुष्प्रचार तुरंत चिन्हित और नियंत्रित किया जा सके।
मीडिया विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल प्लेटफार्म पर व्यक्तिगत छवि पर हमले और अफवाहों के प्रसार से निपटने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को कानूनी और साइबर सुरक्षा दोनों मोर्चों पर सक्रिय होना जरूरी है।
यह मामला राज्य में सोशल मीडिया की जिम्मेदार उपयोगिता और प्रशासनिक गरिमा की रक्षा को लेकर नई बहस भी शुरू कर सकता है।
