मुख्यमंत्री धामी ने हर मोर्चे पर बेहद संजीदगी के साथ संभाला ऑपरेशन सिलक्यारा
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिलक्यारा सुरंग में फंसी 41 जिंदगी को सुरक्षित बचाने का ऑपरेशन हर मोर्चे पर बेहद संजीदगी से संभाला है। 17 दिन तक मुख्यमंत्री ऑपरेशन को लेकर न केवल ग्राउंड जीरो पर रहे, बल्कि सुरंग में फंसे श्रमिकों, रेस्क्यू टीमों, परिजनों और अधिकारियों का मनोबल भी बढ़ाते रहे। इसी का परिणाम रहा की दुनिया के अलग तरह और सबसे बड़े इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सफलता के साथ फतह हासिल की गई।
सिलक्यारा सुरंग हादसे से निपटना आसान नहीं था। यह युद्धस्तर पर चले ऑपरेशन के दौरान भी देखा गया। हर दिन और हर वक्त नई अड़चनें और चुनौतियों ने कई दफा ऑपरेशन को रोका। वाबजूद इसके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मोर्चे पर डटे रहे। मुख्यमंत्री हादसे के अगले दिन यानी 13 नवम्बर से आज ऑपरेशन की सफलता तक करीब 8 बार सिलक्यारा सुरंग में पहुंचे। इसके अलावा चार दिन मातली (उत्तरकाशी) में ऑपरेशन की कमान संभालते हुए यहां मुख्यमंत्री कैम्प दफ्तर बनाकर शासकीय कामकाज देखा। इसके बाद भी मुख्यमंत्री लगातार ऑपरेशन के जायजा लेने और समीक्षा लेने सिलक्यारा और उत्तरकाशी पहुंचे। मुख्यमंत्री ने ऑपरेशन के दौरान दूसरे दिन से ही पाइप लाइन, एंडोस्कोपी फ्लेक्सी कैमरा, एसडीआरएफ के कम्युनिकेशन सिस्टम और बीएसएनएल के दूरभाष सिस्टम से श्रमिकों से लगातार बातचीत कर हौसला अफजाई किया। साथ ही श्रमिकों के प्रिज6, ऑपरेशन में 24 घण्टे जुटी एजेंसियों, मौके पर डटे केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों का मनोबल बढ़ाते रहे। मुख्यमंत्री धामी ने ऑपरेशन के बीच सरकार के जरूरी कामकाज भी संभाले और सुबह और शाम ऑपरेशन की समीक्षा भी की। नतीजन आज 17 दिन बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मोर्चा सफलता से फतह कर अब तक देश-दुनिया में चले रेस्क्यू कार्य की तुलना में बड़ी छाप छोड़ गए।
मुख्यमंत्री का सिलक्यारा दौरे पर एक नजर…..
-13 नवम्बर हादसे अगली सुबह मुख्यमंत्री सिलक्यारा पहुंचे।
14 नवम्बर को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ पहुंचे।
22 नवम्बर को मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के साथ सिलक्यारा पहुंचे।
23 नवम्बर को सिलक्यारा सुरंग और मातली में कैम्प।
24 नवम्बर सिलक्यारा और मातली में कैम्प।
25 नवम्बर को सिलक्यारा में हाईलेवल की बैठक।
28 नवम्बर की सुबह सिलक्यारा सुरंग पहुंचे और जायजा लिया।।
28 नवम्बर को दोपहर बाद फिर सिलक्यारा पहुंचे।
28 नवम्बर को शाम 6 बजे फिर सुरंग में अंतिम ऑपरेशन को किया लीड