उत्तराखंड के इस एक मात्र मंदिर में सदियों पुरानी मूर्तियां, शिलापट्ट और ताम्रलेख, अक्षय तृतीया के दिन है ये खास पर्व
देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भगवान परशुरामजी का एक मात्र पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में एक हजार साल पुरानी दुर्लभ मूर्तियां, साढ़े तीन सौ साल पुराना ताम्रलेख और पौन दो सौ साल पुराना शिलापट्ट आज भी मंदिर की पौराणिकता और भव्यता के दर्शन कराते हैं। खासकर अक्षय तृतीया के दिन मंदिर में भगवान परशुरामजी के जन्मोत्सव पर पौराणिक दुर्लभ मूर्तियों, शिलापट्ट और ताम्रलेख के दर्शन का विशेष मुहूर्त होता है। इस बार भी भगवान परशुरामजी के जन्मोत्सव पर भव्य शोभायात्रा अक्षय तृतीया के दिन निकाली जाएगी।
उत्तराखंड ही नहीं उत्तरभारत में भगवान परशुरामजी का मंदिर उत्तरकाशी के बाड़ाहाट में स्थित है। मंदिर की पौराणिकता और ऐतिहासिक महत्व को लेकर समय समय पर विद्धानों ने अपने शोध कार्य मे वर्णन किया है। पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार और मंदिर में मौजूद प्रमाणों में इसकी झलक दिखती है। मंदिर के पुजारी शैलेंद्र नौटियाल बतातें है कि उत्तरकाशी स्थित परशुराम मंदिर उत्तराखंड और उत्तरभारत का एकमात्र मंदिर है। उन्होंने दावा किया कि मंदिर के गर्भ गृह में स्थित मूर्ति 1000 वर्ष से भी अधिक पुरानी है, जो कि मूर्तिकला का उत्कृष्ठ नमूना है। मंदिर के अंदर लगा भव्य और पौराणिक शिलापटृ भी करीब 181 साल पुराना है बताया गया। जबकि मंदिर में मौजूद ताम्रलेख 350 साल पुराना है। ताम्रलेख में लिखी गई भाषा को लेकर भी अलग अलग मत हैं। जिसको लेकर विद्धानों ने समय समय पर रिसर्च कर अपनी राय दी है।
अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव
अक्षय तृतीया के पुण्य पर्व पर भगवान परशुराम मंदिर उत्तरकाशी में 22 अप्रैल को भगवान श्री परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जैसा कि सबको विदित है कि भगवान श्री परशुराम जगत के पालनहार भगवान श्री विष्णु के छठे अवतार के रुप में जाने जाते हैं। अक्षय तृतीया को ही भगवान श्री परशुराम का आविर्भाव हुआ था। उत्तरकाशी में लगभग पिछले 20 वर्षों से भगवान श्री परशुरामजी का जन्मोत्सव मनाते आ रहे हैं। इस अवसर पर शहर में भगवान परशुराम जी की झांकी तथा शोभायात्रा निकाली जाती है जिसमें सैकड़ों लोग सम्मिलित होते हैं। इस संदर्भ में आज मंदिर में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि विगत वर्षों की भांति इस बार भी श्री परशुराम जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन नगर मे ध्वज यात्रा एवं झांकी निकालि जायेगी। इसे लेकर हुई समिति की बैठक में अध्यक्ष बुद्धि सिंह पवार , श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महन्त जयेन्द्र पुरी, सुभाष नौटियाल , मुरारी लाल भट्ट, भैरव देवता के पुजारी अरविंद उनियाल, प्रताप सिंह बिष्ट “संघर्ष” ,सुरेंद्र दत्त उनियाल, अजय प्रकाश बडोला, हेमराज बनूनी, महिषासुर मर्दनि के पुजारी भीमदेव थपलियाल ,शिवराम डंगवाल , मंगल सिंह चौहान, विनोद नौटियाल ,नागेंद्र पुरी, शैलेंद्र नौटियाल, दिनेश सेमवाल बुद्धि प्रसाद नौटियाल आदि उपस्थित रहे।