बड़ी खबर…..दून में करोड़ों की रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में इन अफसरों पर कसेगा शिकंजा, एसआईटी की संस्तुति से मचा हड़कंप
देहरादून। उत्तराखंड के सबसे बड़े रजिस्ट्री घोटाले में अब जल्द संलिप्त अफसरों पर शिकंजा कस सकता है। एसआईटी ने रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में शामिल रहे तत्कालीन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जो संस्तुति एसएसपी के मार्फत डीएम को भेजी है, उससे कई अफसरों में हड़कंप मचा है। खासकर एसआईटी ने अपने पत्र में कुछ अफसरों के नाम भी स्पष्ट किए हैं।
राजधानी देहरादून में रिकॉर्ड रूम से जमीनों के दस्तावेज बदलने तथा रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं रिकॉर्ड रूम का निरीक्षण कर जांच के आदेश दिए थे। साथ ही एसआईटी गठित कर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर एनआईटी ने जांच कर अब तक फर्जीवाड़े में 21 आरोपितों को जेल भेज दिया है। जबकि अन्य मामलों में अभी कार्रवाई जारी है। इसके अलावा एसआईटी की कार्रवाई की जद में फर्जीवाड़े में अब संलिप्त अधिकारी भी आ सकते है। जमीन फर्जीवाड़े की जांच के लिए गठित एसआइटी की छानबीन में राजस्व और सब रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। इसको लेकर एसआइटी प्रभारी (पुलिस अधीक्षक यातायात) सर्वेश पंवार ने जिलाधिकारी को एक पत्र कार्रवाई की संस्तुति के साथ एसएसपी के मार्फत भेजा है। इस पत्र में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में जिन अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका रही, उनकी जांच कराई जा सके।एसआइटी प्रभारी ने यह पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजा है। इसमें कहा गया है कि रिंग रोड से संबंधित 30 से अधिक रजिस्ट्रियों का अध्ययन किया गया है। साथ ही प्रकरण से जुड़े सभी व्यक्तियों से पूछताछ की गई। इस दौरान कई संदिग्ध व्यक्तियों के नाम प्रकाश में आए। साथ ही कई संदिग्ध बैंक अकाउंट की भी जांच की गई। इन खातों में करोड़ों रुपये का लेनदेन पाया गया है। जिसके क्रम में पाया गया कि आरोपित अधिवक्ता कमल विरमानी, कंवर पाल सिंह (अब मृत्यु हो चुकी), इमरान, रोहताश आदि ने रिंग रोड, लाडपुर, रैनापुर ग्रांट, नवादा, क्लेमेनटाउन, माजरा, राजपुर आदि में कई भूमि के कूटरचित (फर्जी) रजिस्ट्री तैयार की और उन्हें सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम में दाखिल करवा दिया। इसके बाद राजस्व अभिलेखागार के तत्कालीन अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत से दाखिल खारिज तक करवा दिया। ये सभी आरोपित अभी जेल में बंद हैं। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि आरोपितों ने तत्कालीन एडीजीसी सुरेश चंद शर्मा और अपर तहसीलदार सदर महेश जगूड़ी एवं अन्य कार्मिकों के साथ मिलकर फर्जी व संदिग्ध पत्रावलियों में आदेश करवाए। इसी आधार पर राजस्व अभिलेखों में आरोपित संतोष अग्रवाल का नाम दाखिल खारिज आर-6 रजिस्टर में दर्ज करवा दिया। एसआइटी की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सब रजिस्ट्रार कार्यालय के तत्कालीन अधिकारियों की भी घोर लापरवाही पाई गई है। क्योंकि, फर्जी रजिस्ट्रियों की जो नकल असल के रूप में बाहर आई, उनमें जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। इस आधार पर राजस्व व सब रजिस्ट्रार कार्यालय के तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों की विभागीय जांच की जानी नितांत जरूरी है। एसआइटी के इस पत्र पर ही एडीजीसी पर कार्रवाई की जा चुकी है। सूत्रों का कहना है कि एसआइटी के पत्र में एडीजीसी सुरेश चंद शर्मा के नाम का भी उल्लेख था। लिहाजा, इस दिशा में कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी सोनिका एडीजीसी सुरेश चंद को हटा दिया है। अब बताया जा रहा है कि प्रकरण में संदिग्ध भूमिका वाले अधिकारियों की विभागीय जांच कराए जाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। जल्द इस मामले में संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो सकती है। बहरहाल रजिस्ट्री फर्जीवाड़े को लेकर एसआईटी के पत्र से फर्जीवाड़े में संदिग्ध भूमिका वाले अफसरों में हड़कंप मचा है।