देहरादून। उत्तराखंड में लैंड जिहाद के मामले में एमडीडीए ने बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर अवैध रूप से चल रहे धार्मिक स्थलों पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है। अब निजी और सरकारी भवनों में स्वीकृत मानचित्र के इतर निर्मित और निर्माणाधीन सार्वजनिक इबादतगाह पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। ऐसे ही एक चर्चित मामले में एमडीडीए ने अपनी आवासीय योजना ईडब्ल्यूएस में नियमों को ताक पर बनाया गया समुदाय विशेष का इबादत गाह को न केवल सील कर दिया, बल्कि मुकदमा भी दर्ज किया है। इस कार्रवाई से अवैध मस्जिदों के संचालकों में हड़कंप मचा है।
राजधानी के चंदर रोड में एमडीडीए के आवासीय योजना के तहत ईडब्ल्यूएस ( economically weaker section) फ्लैट्स बने हैं। यहां फ्लैट संख्या 192 एवं 193 को आवंटी ने स्वीकृत मानचित्र से इतर निर्माण कार्य कर वहां सार्वजनिक रूप से मस्जिद बना दी। जबकि इस आवासीय परिसर में अलग अलग समुदाय के लोग निवास करते हैं। यह मामला पिछले लम्बे समय से चर्चाओं में है। इसे लेकर हिन्दू संगठन धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं। ऐसे में एमडीडीए ने मामले की जांच की तो इबादतगाह का संचालन नियम विरुद्ध पाया। इस पर एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। आज मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की टीम ने मौके पर जा कर उक्त निर्माण को सील कर दिया। इस दौरान कार्रवाई के दौरान एसडीएम प्रत्यूष सिंह, एमडीडीए के संयुक्त सचिव रजा अब्बास, क्षेत्राधिकारी डालनवाला, एमडीडीए के अधिशाशी अभियंता सुनील कुमार, समस्त सहायक एवं अवर अभियंता समेत भारी पुलिस बल के साथ यह कार्रवाई की गई।
फ्लैटों की मूल अवसंरचना परिवर्तित कर बनाई मस्जिद
एमडीडीए के सचिव मोहन सिंह बर्निया ने जानकारी दी कि विपक्षी लतीफुर्रहम के विरुद्ध एमडीडीए को शिकायत प्राप्त हुई थी कि चंदर रोड एमडीडीए स्थित ईडब्ल्यूएस फ्लैट संख्या 192 एवं 193 को आपस में जोड़कर उक्त फ्लैटों की मूल अवसंरचना परिवर्तित कर दी गई है। इस पर विपक्षी के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में वाद दायर किया गया। जिला प्रशासन के स्तर से भी इस बाबत शिकायत प्राप्त हुई कि उक्त जोड़े गए परिसर में अवैध रूप से मदरसा/मस्जिद का संचालन करते हुए यहां सामूहिक रूप से नमाज पढ़ी जा रही है। जिस पर प्राधिकरण से कार्रवाई की अपेक्षा की गई। प्रकरण में उक्त परिसर की सीलिंग के आदेश पारित करते हुए 10 जुलाई 2023 की तारीख तय की गई। विपक्षीगण द्वारा आयुक्त गढ़वाल के समक्ष अपील की गई। न्यायालय द्वारा उक्त अपील को निरस्त किया गया। प्राधिकरण द्वारा पुनः 31 जुलाई सीलिंग की तारीख निर्धारित की गई। प्राधिकरण के आदेश के विरुद्ध विपक्षी पुनः आयुक्त न्यायालय में गया जिसे न्यायालय ने निरस्त कर दिया।
न्यायालय में दिया शपथ, नहीं किया पालन
इस दौरान विपक्षी ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया जिसमें कहा कि वह उक्त परिसर को सार्वजनिक रूप से धार्मिक स्थल के रूप में प्रयोग नहीं करेंगे। साथ ही आश्वस्त किया कि उक्त परिसर की संरचना को पूर्व की भांति एक सप्ताह में ठीक कर दिया जाएगा। अन्यथा की स्थिति में प्राधिकरण नियमानुसार कार्यवाही के लिए स्वतंत्र होगा। 4/9/23 को देवभूमि सामाजिक एवं जनविकास सांस्कृतिक संस्था द्वारा एक पत्र जिला प्रशासन के मार्फत एमडीडीए को मिला जिसमें पुनः उक्त स्थल पर धार्मिक गतिविधि होने की शिकायत की गई। प्राधिकरण टीम के द्वारा 26/6/23 को पारित आदेशों के क्रम में आज उक्त भवन को एमडीडीए टीम व पुलिस बल की मौजूदगी में सील करा दिया गया।