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उत्तराखंड सिडकुल भर्ती घोटाले में बड़ी कार्रवाई, एजीएम समेत दो बर्खास्त, अब इन अफसरों पर कार्रवाई

देहरादून। उत्तराखंड में सिडकुल घोटाले का जिन्न फिर बाहर आ गया है। एसआईटी जांच रिपोर्ट के आधार पर एमडी सिडकुल ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी लगी एजीएम एचआर समेत तीन लोगों को बर्खास्त कर दिया है। इस कार्रवाई से जांच के दायरे में आने वाले अफसरों और कर्मचारियों में हड़कंप मचा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह कार्रवाई हुई है।।

जानकारी के मुताबिक सिडकुल (स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड) में बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्रों, बिना विज्ञापन और विज्ञप्ति जारी किए नेता और अफसरों ने अपने चहेतों को नौकरी दे रखी है। योग्यता से कई गुना अधिक पदों पर जिम्मेदारी देना तथा नियम विरुद्ध नियुक्ति करने की एसआईटी ने जांच की थी। एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेज चुकी है। इस मामले में कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री पुष्कर धामी तक इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी के दौरान कुछ गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इस मामले में गत दिवस एमडी सिडकुल ने फर्जीवाड़े से नौकरी कर रहे सहायक महाप्रबंधक मानव संसाधन व दो ड्राइवर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गय। यह कार्रवाई एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर सिडकुल एमडी रोहित मीणा ने की है। तीनों को। एमडी की इस कार्रवाई से सिडकुल में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि एसआईटी जांच रिपोर्ट में कुछ और अधिकारियों-कर्मचारियों के दस्तावेज की जांच चल रही है। इस मामले में जल्द बड़ी कार्रवाई की उम्मीदें हैं।।

एमडी ने इनको किया बर्खास्त

सिडकुल में हुए घोटाले की जांच एसआईटी कर रही थी। एसआईटी जांच रिपोर्ट के आधार पर सिडकुल एमडी रोहित मीणा ने बर्खास्तगी के आदेश जारी किए हैं। एसआईटी जांच में सिडकुल में सहायक महाप्रबंधक मानव संसाधन राखी के प्रमाणपत्रों की जांच की गई तो पता चला कि अनुभव प्रमाणपत्र गलत था। इसी प्रकार ड्राइवर विकास कुमार व अमित खत्री के 10वीं से संबंधित प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। एमडी ने तीनों को बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने बिठाई थी जांच

उच्चस्तरीय सूत्रों ने बताया कि सीएम त्रिवेंद्र रावत ने जब सिडकुल में हुई अवैधानिक नियुक्तियों और उनके वेतन निर्धारण की फाइल तलब कर परीक्षण किया तो वह भौचक्के रह गए थे। उन्होंने इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में मानते हुए बाकायदा एसआईटी जांच के सिफारिश की थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री ने नियुक्त फाइल में नियुक्तियों और वेतन निर्धारण पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद एसआईटी जांच भी शुरू हुईं थी।।

 

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