अंकिता भंडारी प्रकरण : SIT जांच पर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की मुहर, सरकार ने दोहराई निष्पक्ष कार्रवाई की प्रतिबद्धता

देहरादून। अंकिता भंडारी के साथ हुई घटना की जानकारी मिलते ही राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक महिला आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) का तत्काल गठन किया था। सरकार की ओर से यह सुनिश्चित किया गया कि प्रकरण की निष्पक्ष और प्रभावी जांच हो।
अपर पुलिस महानिदेशक वी मुरूगेशन ने बताया कि मामले में सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गई तथा विवेचना और ट्रायल के दौरान प्रभावी पैरवी कराई गई, जिसका परिणाम यह रहा कि अभियुक्तों को जांच व सुनवाई के दौरान जमानत नहीं मिल सकी।विवेचना के दौरान मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए उच्च न्यायालय, नैनीताल में याचिका दायर की गई थी। हालांकि, नैनीताल हाईकोर्ट ने एसआईटी की जांच पर भरोसा जताते हुए सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि एसआईटी सही ढंग से अपना कार्य कर रही है।
इसके बाद यह प्रकरण माननीय उच्चतम न्यायालय तक भी पहुंचा, जहां अदालत ने विवेचना पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। एसआईटी जांच पूरी होने के बाद अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। निचली अदालत में सुनवाई पूरी होने के पश्चात अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
इस बीच हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऑडियो क्लिप के संबंध में अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनकी विधिवत जांच जारी है। अधिकारियों का कहना है कि जांच के दौरान यदि कोई नया तथ्य सामने आता है, तो उस पर प्रभावी और सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी व्यक्ति के पास इस प्रकरण से संबंधित कोई साक्ष्य या जानकारी थी, तो वह विवेचना के दौरान एसआईटी को उपलब्ध करा सकता था। यह एक जिम्मेदार नागरिक का दायित्व भी है। तत्समय पुलिस प्रशासन द्वारा सार्वजनिक रूप से यह अपील भी की गई थी कि वीआईपी या किसी अन्य संदर्भ से जुड़ा कोई भी साक्ष्य हो तो उसे साझा किया जाए।
सरकार ने दोहराया कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और इसकी गहन, निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच की जा रही है। राज्य सरकार की स्पष्ट मंशा है कि कोई भी तथ्य या साक्ष्य नजरअंदाज न हो और जो भी तथ्य सामने आएँ, उनके आधार पर उचित एवं कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
