बड़ी खबर……कैडर उत्तराखंड, नौकरी उत्तरप्रदेश की और अब ऐसे बिगाड़ सकते नए “डीजीपी” की गणित
देहरादून। उत्तराखंड कैडर के चार सीनियर आईपीएस अफसर राज्य कैडर आवंटित होने के बाद से ही उत्तरप्रदेश में डटे हुए हैं। इनमें दो आईपीएस तो उत्तराखंड मूल के हैं। बावजूद छोटे राज्य की अनदेखी और बड़े राज्य के मोह से वह मूल कैडर नहीं लौटे। अब जब उत्तराखंड में डीजीपी की कुर्सी खाली होने वाली और उत्तरप्रदेश में डीजीपी बनने की संभावनाएं कम दिखने पर कुछ अफसर राज्य में बनने वाले नए डीजीपी की गणित बिगाड़ सकते हैं। खासकर रिटायरमेंट नजदीक वाले अफसर उत्तराखंड के डीजीपी बनने का ख्वाब देख रहे हैं। हालांकि यूपीएससी और राज्य सरकार के निर्णय से ही नए डीजीपी की ताजपोशी होगी। इधर, उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी ने कहा कि इस मामले में कानूनी राय मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
उत्तराखंड बनने के बाद उत्तरप्रदेश से आईपीएस का कैडर उत्तराखंड के लिए आवंटित हुआ। कैडर आवंटित होने पर अधिकांश आईपीएस अफसरों ने यहां जॉइन किया। लेकिन चार अफसर ऐसे रहे, जो आज तक उत्तराखंड नहीं आये। जबकि डीओपीटी की सूची में आज भी वह उत्तराखंड कैडर के हैं। इनमें सीनियर आईपीएस 1989 बैच के सफी अहसान रिजवी दिल्ली के रहने वाले हैं। सफी वर्तमान में यूपी से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एनडीएमए में सलाहकार हैं। सफी का रिटायरमेंट 2026 में तय है। उत्तरप्रदेश में उनका डीजीपी बनना मुश्किल है। इसी तरह उत्तराखंड यानी देहरादून निवासी अंजू गुप्ता 1990 बैच की आईपीएस है। अंजू रॉ समेत उत्तरप्रदेश में महत्त्वपूर्ण पदों पर रही हैं। वर्तमान में वह डीजी केडीएसजीपीटीएस मेरठ के पद पर तैनात हैं। अंजू भी उत्तराखंड नहीं लौटी। हालांकि आईपीएस अंजू का अगले माह रिटायरमेंट है। उत्तराखंड मूल के ही दीपेश जुनेजा 1992 बैच के सीनियर आईपीएस अफसर हैं। वर्तमान में वह उत्तरप्रदेश में एडीजी प्रॉसिक्यूशन के पद पर तैनात हैं। वह भी उत्तराखंड नहीं लौटे। लेकिन अब उत्तराखंड में डीजीपी की कुर्सी खाली हो रही और उनका कार्यकाल 2026 तक यानी 3 साल की नौकरी के चलते वह डीजीपी बनने की लाइन में हैं। उत्तराखंड से नाता होने के कारण वह नए डीजीपी के दावेदार हो सकते हैं, बशर्तें सरकार की हरी झंडी मिले। इसी तरह एलवी एंटोनी देव कुमार 1994 बैच उत्तराखंड कैडर के आईपीएस हैं। लेकिन वह वर्तमान में आईजी बीएसएफ में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं। यूपीएससी की गाइडलाइंस और सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह मामले में जारी निर्देशों का पालन हुआ तो कैडर के सीनियर अफसरों को चयन सूची में शामिल कर सकते हैं। इसके बाद सबसे योग्य तीन नामों का पैनल सरकार को भेजा जाएगा। अंतिम निर्णय राज्य सरकार करती हैं। ऐसे में यदि उक्त अफसरों की रिटायरमेंट के करीब डीजीपी बनने की हसरत होगी तो वह उत्तराखंड में तैनात और डीजीपी के दावेदारों की गणित खराब कर सकते हैं। इसकी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।।
आईपीएस बीके मौर्या के नाम की भी चर्चा
उत्तराखंड में नए डीजीपी को लेकर भले ही वरिष्ठ आईपीएस दीपम सेठ, पीवीके प्रसाद और अभिनव कुमार में से किसी एक नाम पर मुहर लगने की प्रबल संभावनाएं हैं। लेकिन कुछ अड़चनों का चलते दूसरे कैडर में रिटायरमेंट के करीब वाले सीनियर आईपीएस डीजीपी की कुर्सी पर नजर लगाए हुए हैं। सूत्रों पर भरोसा करें तो उत्तरप्रदेश में 1990 बैच के आईपीएस बिजय कुमार मौर्या के नाम की चर्चाएं भी हैं। मौर्या वर्तमान में उत्तरप्रदेश में डीजी होमगार्ड हैं और रिटायरमेंट के करीब दो साल बचे हुए हैं। ऐसे में उनके नाम की चर्चाएं चल रही हैं। इसके अलावा दिल्ली और दूसरे कैडर के कुछ और नामों की चर्चा भी चल रही है। हालांकि नया डीजीपी कौंन होगा, इसका अंतिम फैसला सरकार को करना है। बहरहाल नाम फाइनल न होने तक इस तरह की कयसबाजी लगी रहेगी।