भारतीय संविधान के इतिहास, विकास तथा प्रस्तावना में वर्णित तकनीकी शब्दों पर चर्चा
देहरादून। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्विद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा वैज्ञानिक तथा तकनीक शब्दावली आयोग शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से एकेडमिक एक्टिविटी सेंटर चौरास में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया गया।
इस दो दिवसीय सेमिनार का मुख्य विषय ” संसदीय लोकतांत्रिक परम्परा में तकनीकी शब्दावली का महत्व” था जिसमें देश भर के विषय विशेषज्ञों ने जुटकर संसदीय तकनीकी शब्दावली के विकास एवं संवर्धन के विषय में विचार-विमर्श किया ।
कार्यशाला के द्वितीय दिवस का आरंभ तकनीकी सत्र के साथ हुआ ,जिसमें प्रो सुनील खोसला ने भारतीय संविधान के इतिहास, विकास तथा प्रस्तावना में वर्णित तकनीकी शब्दों के विषय पर विस्तृत चर्चा की। दूसरे तकनीकी सत्र में प्रो नावेद जमाल ने “भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दों का योगदान” विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने विस्तृत रूप से भारतीय भाषाओं में संविधान में तकनीकी शब्दावली के निर्माण के महत्व एवं विकास के संदर्भ में बातचीत की ।
तीसरे तकनीक सत्र में दून विश्वविद्यालय के प्रो हर्ष डोभाल ने अपना व्याख्यान ” संसदीय लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका” विषय पर प्रस्तुत किया। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र में मीडिया तथा भाषाओं की विविधता और विकेंद्रीकरण पर जोर दिया।
कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत
प्रो राजेश पालीवाल ने आने अपने विषय “भारतीय संविधान के परिपेक्ष्य में संसदीय लोकतंत्र एवं न्यायिक दृष्टिकोण” पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। दोपहर के बाद आयोजित समापन समारोह की अध्यक्षता प्रतिकुलपति प्रो आरसी भट्ट, ने की। कार्यशाला में मुख्य अतिथि पीवीवी सुब्रमण्यम , केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग, अति विशिष्ट अतिथि हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर काशीनाथ जैना एवं विशिष्ट अतिथि डॉ शहज़ाद अंसारी थे। डॉ मनीष मिश्रा ने दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम में भाग लेने वाले विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्वानों एवं शोधार्थियों ने भी कार्यक्रम के समापन के अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये ।
शोध एवं शिक्षा की गुणवत्ता में होगी वृद्धि
प्रो काशीनाथ जेना, पीवीवी सुब्रमण्यम , रघुनाथ कीर्ती संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग ने संसद की तकनीकी शब्दावली, भाषा, संप्रेषण एवं अनुवाद प्रक्रिया के विषय में अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया। प्रति कुलपति प्रो आरसी भट्ट ने भारत संसदीय व्यवस्थाओं के उदय , विकास तथा उनकी तकनीक शब्दावली पर अपने विचार व्यक्त किये ।
कार्यक्रम के अंत में प्रमाण – पत्रों के वितरण के पश्चात कार्यक्रम संयोजक प्रो एम एम सेमवाल ने अतिथियों एवं सभी प्रतिभागियों के आभार व्याकर करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से लगातार विश्विद्यालय एवं विभाग में शोध एवं शिक्षा की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी।
इन विद्वानों ने लिया सेमिनार में भाग
इस अवसर पर प्रो नावेद जमाल , प्रो यूसी गैरोला, प्रो वीरपाल सिंह चौधरी, प्रो सुनील खोसला, प्रोफेसर दिनेश गहलौत,प्रो राजपाल सिंह नेगी, ,डॉ सर्वेश उनियाल, डॉ आकाश रावत, डॉ कपिल पँवार, डॉ आशुतोष गुप्त, डॉ अमित कुमार शर्मा कार्यशाला में आचार्य कमला कान्त मिश्र, पूर्व निदेशक, राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान (सम्प्रति केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय), दिल्ली, डॉ एम.पी. मिश्रा, इग्नू, दिल्ली, डा ममता त्रिपाठी, गार्गी महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय तथा डा अजय कुमार मिश्रा, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली, कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डा नवीन चन्द डा उमराव ओपन यूनिवर्सिटी से डॉक्टर लता जोशी, डॉ आरुषि श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से डॉक्टर राखी पंचोला डॉक्टर सरिता मलिक डॉ अनिल सैनी, डॉक्टर अमिताभ भट्ट ,डा जगमोहन सिंह नेगी ने की विशेषज्ञों के रुप में इस संगोष्ठी में भाग लिया। इसके साथ ही 150 से अधिक शिक्षक, शोधकर्ताओं ने इस कार्यशाला में प्रतिभाग किया। अंत में प्रतिभागियों द्वारा कार्यशाला की फीडबैक भी प्रस्तुत की गई।