देहरादून के नामी सनवैली स्कूल की मनमानी पर कस सकता शिकंजा, डीजी ने लिखा कड़ा पत्र

देहरादून। राजधानी के चर्चित सन वैली स्कूल की मनमानी जगजाहिर है। वर्तमान मामला शिक्षा के अधिकार से जुड़ा होने के कारण ज्यादा गंभीर है। सरकार जहां गरीब और वंचित वर्ग के अधिकारों को लेकर गंभीर है। वहीं प्राईवेट स्कूल इसके उलट चल रहे हैं। सन वैली स्कूल में कुक समय पर शिक्षा विभाग ने शिक्षा के अधिकार से चयनित 25 छात्र-छात्राओं की सूची दाखिला के लिए भेजी। लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इस पर कोई भी कार्यवाही करनी उचित नहीं समझी। इस पर चयनित अभिभावकों ने शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी से शिकायत की तो उन्होंने बच्चों के भविष्य को देखते हुए और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सन वैली को अंतिम नोटिस जारी कर 5 दिन के भीतर स्थिति स्पष्ट करने की चेतावनी दी है। ऐसा न करने पर स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार गरीब व वंचित वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए गंभीर है। सरकार ने कई नीति-नियम भी ऐसे लोगों के हितों को देखते हुए बनाये हैं। लेकिन कुछ संस्थान सरकार की मंशा के विपरीत काम कर रहे हैं। ताजा मामला शिक्षा विभाग के शिक्षा के अधिकार से जुड़ा है। जिसमें विभाग ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) में चयनित 25 बच्चों को प्रवेश देने की सूची शहर के चर्चित और नामी स्कूल सन वैली को भेजी। लेकिन स्कूल ने इस सूची को दरकिनार कर दिया। लम्बे समय से अभिभावक अपने बच्चों के दाखिले को स्कूल का चक्कर काट रहे हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मामला राज्य के शिक्षा महानिदेशक व समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक बंशीधर तिवारी के संज्ञान में आया तो उन्होंने इस गंभीर प्रकरण पर सन वैली स्कूल को अल्टीमेटम जारी कर दिया है। कहा कि आरटीआई में दाखिला देना अनिवार्य और बाध्यता है। इससे स्कूल मना नहीं कर सकता है। उन्होंने स्कूल को अंतिम चेतावनी जारी की गई है। यदि इसके बाद भी स्कूल अपने रवैये से पीछे नहीं हटता है तो शिक्षा विभाग स्कूल की मान्यता के विरुद्ध भी कार्रवाई कर सकता है। इधर, इस मामले में सन वैली प्रबंधन से उनका पक्ष लेने की काफी कोशिशें की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। जब भी उनका पक्ष मिलेगा, प्रकाशित किया जाएगा।
इसलिए डीजी को देनी पड़ी चेतावनी
गौरतलब है कि आरटीई में चयन के बाद भी सन वैली स्कूल ने 25 बच्चों को अपने यहां प्रवेश देने से इंकार कर दिया है। यह प्रकरण विभिन्न माध्यम से होते हुए शिक्षा विभाग तक पहुंचा। जिसका शीघ्र संज्ञान लिया गया। राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा बंशीधर तिवारी ने स्कूल प्रबंधन को पत्र भेजकर कहा है कि चयनित बच्चों को प्रवेश देने से इंकार करना शिक्षा का अधिकार अधिनयम-2009 के प्राविधानों के विपरीत है। साथ ही इसे अत्यंत खेद की स्थिति बताया। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 23 सितंबर 2023 तक संबंधित बच्चों को प्रवेश नहीं दिया गया तो नियमसंगत कठोर कार्रवाई की जाएगी।