उत्तराखंड में जमीन फर्जीवाड़े में तीन और जमीनों की रजिस्ट्री पकड़ी, इन अफसरों पर गिर सकती गाज
देहरादून। राजधानी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बाद जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री के खेल में नित नए कारनामे सामने आ रहे हैं। रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस को रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के तीन और नए मामले प्रकाश में आ गए हैं। अब तक चार जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। इसके लिए अभी तक जिम्मेदार एक अफसर पर ही कार्रवाई हुई है। जबकि यह गोरखधंधा पिछले कई सालों से रजिस्ट्री दफ्तर में चल रहा था। यदि जांच सही दिशा में हुई तो कई और जिम्मेदार अफसरों पर गाज गिरनी तय है। इसके संकेत मुख्यमंत्री धामी पहले ही दे चुके हैं कि मामले में जो भी जिम्मेदार होगा, उसको बख्शा नहीं जाएगा।
राजधानी देहरादून में लम्बे समय से जमीनों के फर्जीवाड़े का खेल खेला जा रहा है। गोल्डन फॉरेस्ट, अंगेलिया, शत्रु सम्पत्ति, विदेश गए लोगों एवं सीलिंग की जमीन को खुर्द बुर्द कर प्रॉपर्टी के खिलाड़ियों ने जमकर फर्जीवाड़ा किया है। यहां तक कि पहाड़ के गरीब लोगों को विवादित जमीनें बेचकर न केवलमोटा मुनाफा कमाया, बल्कि पीड़ितों की खून पसीने की कमाई को लूटने में कोई कमी नहीं छोड़ी। 2013 में जब जमीन फर्जीवाड़े की शिकायतें सरकार तक पहुंची तो बाकायदा सरकार ने पुलिस की एसआईटी (भूमि)का गठन किया। इसके बाद पुलिस ने कई जमीन फर्जीवाड़े के माफियाओं को सलाखों के भीतर डाला। लेकिन फर्जीवाड़े का तंत्र बढ़ने पर एसआईटी की जांच कमजोर पड़ गई। नतीजा राजस्व विभाग और रजिस्ट्री विभाग के साथ जमीन के माफियाओं ने ऐसा खेल खेला कि बिना भय और डर के अति गोपनीय और सुरक्षा में रखे जमीनों के रिकॉर्ड को खंगालना शुरू कर दिया। इसके बाद तो भू माफियाओं ने रजिस्ट्री विभाग में अफसरों से सांठगांठ कर असली रिकॉर्ड में छेड़छाड़, कूटरचना और फिर रिकॉर्ड गायब करने तक के बड़े कारनामे कर डाले। यह खेल कई सालों से चल रहा था। जांच हुई, मुकदमें दर्ज हुए, लेकिन माफिया यहां भी सांठगांठ कर कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डालते रहे। जमीन माफियाओं का यह खेल बदस्तूर जारी था कि मामला इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संज्ञान में आ गया। मुख्यमंत्री सीधे रजिस्ट्री दफ्तर पहुंचे और रिकॉर्ड की असलियत से वाकिफ हुए। रजिस्ट्री दफ़्तर का खेल देख मुख्यमंत्री हैरान रह गए और मौके पर ही डीएम को कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद शुरू हुई जांच ने तो पूरे फर्जीवाड़े का खेल सामने ला दिया। अब तक दर्ज मुकदमे में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में करोड़ों रुपये की कई बीघा जमीन के वारे न्यारे करने के चार मामले सामने आ गए हैं। जबकि अभी जांच शुरुआती चरण में है। इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ खानापूर्ति के लिए एक अफ़सर को सस्पेंड किया गया। जबकि जब से यह खेल चल रहा था और अब तक दर्जनभर से ज्यादा जिम्मेदार अफसर यहां तैनात रहे। उनकी नजरों से फर्जीवाड़ा कैसे बच गया या फिर वो लोग किस आधार पर पाकसाफ होंगे, इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हालांकि मुख्यमंत्री धामी इस मामले में कड़ी कार्रवाई के निर्देश स्पष्ट रूप से दे चुके हैं।
रायपुर और लाडपुर की जमीनों में बड़ा फर्जीवाड़ा
आज जिन जमीनों में फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, वह जमीनें चक रायपुर व लाडपुर क्षेत्र की हैं और यहां भी इनका संबंध चंद्र बहादुर की जमीनों से है। चंद्र बहादुर की अधिकांश भूमि सीलिंग से संबंधित है, जिन्हें सरकार में निहित कर दिया गया है। भूमाफिया इन जमीनों के न सिर्फ फर्जी रिकार्ड तैयार कर रही हैं, बल्कि रजिस्ट्री कार्यालय के रिकार्ड रूम व राजस्व अभिलेखागार में सेंधमारी कर मूल रिकार्ड भी गायब कर दिए गए हैं।
जिन व्यक्तियों पर फर्जी रजिस्ट्री तैयार करने का आरोप लगा है, उनका कनेक्शन डिब्रूगढ़ असम से है और अब तक सामने आए रजिस्ट्री फर्जीवाड़े और सीलिंग भूमि को खुर्दबुर्द करने में भी यही कनेक्शन बार-बार सामने आ रहा है। सीलिंग भूमि को बचाने की लड़ाई लड़ रहे अधिवक्ता विकेश नेगी ने रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के रिकार्ड जिला प्रशासन के सुपुर्द करते हुए संतोष अग्रवाल, उमेश कुमार और मोतीलाल पर इसका आरोप लगाया है। अपर जिलाधिकारी प्रशासन डा एसके बरनवाल को सौंपे गए रिकार्ड के मुताबिक चक रायपुर क्षेत्र की चंद्र बहादुर से जुड़ी भूमि को उमेश कुमार ने वर्ष 1952 में चंद्र बहादुर से क्रय करना दिखाया है। जबकि यह भूमि चंद्र बहादुर को अपने पिता शमशेर बहादुर से वर्ष 1954-55 के बीच मिली। ऐसे में चंद्र बहादुर से भूमि को क्रय करने का प्रश्न ही नहीं होता। दूसरी तरफ इसी भूमि को संतोष अग्रवाल ने चंद्र बहादुर से वर्ष 1984 में क्रय करना दिखाया है। इसके अलावा चंद्र बहादुर की ही लाडपुर क्षेत्र की भूमि को मोतीलाल ने वर्ष 1975 में क्रय किया जाना दर्शाया है। यह रजिस्ट्री किन मूल अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ कर तैयार की गई, इस पर से पर्दा उठना बाकी है। हालांकि, जिला प्रशासन सतर्क हो गया है और जिलाधिकारी सोनिका ने प्रकरण में गहनता के साथ छानबीन कर सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी किए हैं।
संतोष और उमेश के मुकदमे में कार्रवाई कब
संतोष और उमेश ने एक दूसरे पर दर्ज कराया है मुकदमा
चक रायपुर की चंद्र बहादुर की जिस जमीन की रजिस्ट्री लेकर संतोष अग्रवाल व उमेश कुमार घूम रहे हैं, उन्होंने एक दूसरे पर ही फर्जी रजिस्ट्री तैयार कराने का मुकदमा दर्ज कराया है। संतोष ने उमेश पर सहारनपुर में मुकदमा दर्ज कराया है, जबकि उमेश ने संतोष पर कोर्ट से आदेश लेकर शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। गंभीर यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के बाद प्रशासन और पुलिस रजिस्ट्री फर्जीवाड़े को अब जाकर गंभीरता से ले रहे हैं। लेकिन, पूर्व में दर्ज इन मुकदमों पर पुलिस अब तक कुछ नहीं कर पाई।