देशभर में “गमछा और खादी” से नहीं अब “भगवाधारी” से पहचाने जाएंगे ये पूर्व “आईएएस”, बद्रीनाथ में कह दी ये बड़ी बात…..
देहरादून। भारत सरकार में सचिव रहे पूर्व आईएएस डॉ कमल टावरी ने गमछा और खादी छोड़ अब भगवा वेशभूषा धारण कर लिया है। देशभर में वह अब तक गमछा और खादी वाले आईएएस के रूप में प्रसिद्ध थे। लेकिन अब वह “भगवाधारी” आईएएस के रूप में पहचाने जाएंगे। बद्रीनाथ दर्शन के बाद उन्होंने विधिवत भगवा कपड़े पहन कर जनमुद्दों की लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है। कहा कि अपने मिशन में अब वह गांव से लेकर देश के विकास में अपवाद के रूप में काम करने वालों को तलाशेंगे। इसके बाद गांव के विकास से जुड़ी योजनाओं पर काम करेंगे। देहरादून पहुंचने पर उन्होंने “करंट न्यूज” से कहा कि दुनियाभर में अब सिर्फ झूठ का जंजाल बचा है। ऐसे में भगवाधारी बनने के बाद वह ठाठ-बाट में बैठने वाले नहीं बल्कि ठाठ बाट वालों को साथ लेकर जन मुद्दों पर काम करेंगे। भगवाधारी पहनने के बाद डॉ कमल टावरी अब स्वामी कमलानन्द गिरी के रूप में जाने जाएंगे।
भारत सरकार में गृह मंत्रालय, ग्राम्य विकास सचिव तथा उत्तरप्रदेश में कई जिलों के डीएम, कमिश्नर रहे पूर्व आईएएस डॉ कमल टावरी अब भगवाधारी स्वामी कमलानन्द गिरी बन गए हैं। बद्रीनाथ धाम के निकट एक आश्रम में उन्होंने विधिवत सांसारिक मोह माया का त्याग कर भगवा वस्त्र धारण कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि संसार मे सब झूठ है। ऐसे में सच के साथ काम करने की जरूरत है। भगवा वस्त्र धारण करते वक्त उन्होंने अपने गुरुजी से कहा कि यदि आपको वस्त्र और माल पहनाने में स्वार्थ दिख रहा तो मत पहनाए। गुरुजी ने भी अपने गले की माला उतारकर कमल टावरी से कमलानन्द गिरी बने शिष्य के गले मे डाल दी। बहरहाल देशभर में गमछा और खादी वस्त्र धारण करने वाला पूर्व आईएएस कमल टावरी के भगवाधारी बनने के पीछे कई और कारण हैं, जो हम अपनी अगली रिपोर्ट में विस्तार से बताएंगे।
उत्तराखंड के विकास पर 100 करोड़ हर ब्लॉक में खर्च करेंगे
देहरादून। भारत सरकार में सचिव रहे पूर्व आईएएस डॉ कमल टावरी ने बद्रीनाथ दर्शन के बाद जनमुद्दों की लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया है। अपने मिशन में अब वह गांव से लेकर देश के विकास में अपवाद कहलाने वालों और जमीन से जुड़े लोगों को साथ लेकर उत्तराखंड और अन्य राज्यों में “लोगों को लेकर लड़ेंगे” नारे पर काम करेंगे। इसके लिए उन्होंने हर गांव को एक करोड़ और ब्लॉक को 100 करोड़ की बजट वाली योजना पर काम करने की बात कही।
उत्तरप्रदेश कैडर के 1968 बैच के पूर्व आईएएस कमल टावरी उत्तराखंड के विकास को लेकर वर्षों से चिंतित हैं। उत्तराखंड भ्रमण के दौरान वह अक्सर राजधानी से लेकर जिलों में यहां के विकास के रोडमैप पर अपने विचार व्यक्त करते आ रहे हैं। हाल ही में उन्होंने भगवान बद्रीनाथ के दर्शन कर वहां पर्यावरण सुरक्षा और उद्गम से प्रदूषित होती अलकनंदा के प्रति चिंता जाहिर कर जिम्मेदार लोगों का ध्यान आकर्षित किया। देहरादून पहुंचने पर पूर्व आईएएस डॉ टावरी ने “करंट न्यूज” से बातचीत करते हुए कहा कि आज सरकारी व्यवस्था से हटकर काम करने की जरूरत है। सरकारी योजनाओं का जो हश्र हो रहा, इसकी समीक्षा कर स्थानीय लोगों को उनके संसाधनों के अनुरूप जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इसमें पंचायत प्रतिनिधि महत्वपूर्ण कड़ी है। गांव में पंचायत को अधिकार तो दे दिये, लेकिन आउटपुट कुछ भी नहीं आ रहा है। इसके पीछे कारण मनमाफिक योजनाओं को थोपना। उन्होंने दावा किया कि उनके पास हर ब्लॉक में 100-100 करोड़ और हर गांव में एक एक करोड़ खर्च करने की योजना है। इस कार्य मे भी गांववालों की सहभागिता तय की जाएगी। उत्तराखंड के करीब 96 ब्लॉक में भी ऐसे योजना पर काम करने की जरूरत है, जो जहां के अनुरूप हो। खासकर ऑर्गेनिक खेती, पशुपालन, जड़ीबूटी की खेती, बागवानी, साग-सब्जी वाले काम से गांव में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कई उत्पाद तो विदेशों में भी मुंह मांगे दाम पर बिकेंगे। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में राज्य के सहकारिता मंत्री और सचिव से मुलाकात कर अपनी योजनाओं के बारे में चर्चा की गई। डॉ टावरी ने कहा कि अब जरूरत है कि लोगों को लेकर लड़ा जाए। यह काम सिर्फ लोगों के हितों के लिए होगा।
अब के आईएएस और आईपीएस अफसरों से उठ चुका भरोसा
पूर्व आईएएस डॉ कमल टावरी ने वर्तमान के आईएएस, आईएफएस और आईपीएस अफसरों से भरोसा उठने की बात कही। बोले, आज के अफसर सिर्फ दिल्ली और विदेशों तक अपनी नजर रखे हुए हैं। गांव और आम आदमी के विकास से उनका कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि अफसर के पास विजन होता है। ऐसे में विकास योजनाओं को धरातल पर उतारा जा सकता है। लेकिन अब अफसर सिर्फ पैसा बनाने में लगे रहते हैं। ऐसे में धरातल पर विकास संभव नहीं है।