
देहरादून। देश और दुनिया में उत्तराखंड अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां के लोक पर्व, लोक गाथाएं और लोक नृत्य अपने आप में एक धरोहर को संजोए हुए हैं। इनमें से एक उत्तरकाशी का पौराणिक पर्व में शूमार भेरू का तमाशा यानी भेड़ मेला भी खास महत्व रखता है। यह पर्व हर तीन साल में पशु प्रधान पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व में देव डोलियों के समागम के साथ पशुपालन के प्रतीक के रूप में भेड़ो की टोलियां शामिल होती है। दूर जंगलों से भेड़ों की टोलियां देव डोलियों के पीछे मेले में शामिल हजारों लोगों की परिक्रमा कर वापस जंगल में लौट जाती है। इसके पीछे किवदंती है कि पशुपालन की खुशहाली और मेले शामिल लोगों की सुख, समृद्धि का आशीर्वाद देव डोलियां देती है।
जलकुर घाटी की गाजणा पट्टी के ठाण्डी गांव में हर तीन साल बाद भेड़ो का मेला(भेरू कु तमाशु) आयोजित होता है। मेले में शामिल होने के लिए दूर दराज से ग्रामीण आते हैं। इसके अलावा मेले में आसपास के गांव कमद, कुमारकोट, ब्रह्मपुरी, भड़कोट आदि गांव के साथ गाजणा, उपली, निचली रमोली और बूढ़ाकेदार क्षेत्र के ग्रामीण भाग लेते हैं। इस मेले को पशुपालन, कृषि पर्व के रूप में मनाने की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है। “भेड़ों को टोलियों के साथ बुग्याल से मेला परिसर तक लाने में देव डोलियां नेतृत्व करती है। क्षेत्र के ईष्ट देवता भोल्या महाराज के नेतृत्व में अन्य देव डोलियां भेड़ों को मेले परिसर में बने रूट यानी मेला स्थल के चारों तरफ घुमाने के बाद वापस जंगल को जाती हैं। इससे पहले मेले में देव डोलियों का नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। जबकि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा देवताओं की पूजा की जाती है। यह मेला आस्था और मनोरंजन का भी एक ऐसा एक पर्व है, जिसमें अध्यात्म और संस्कृति के कई रंग देखने को मिलते हैं।
विधायक और डीएम पहुंचे मेले में, कही ये बातें
इस बार मेले में गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने भी शिरकत की। उन्होंने कहा कि मेले हमारी संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक हैं। पौराणिक मेले के संरक्षण को लेकर सरकार प्रयासरत है। उन्होंने क्षेत्र की समस्याओं के निराकरण के निर्देश मौके पर ही डीएम को दिए। इस मौके पर महिला मंगल दल को एक लाख रुपये की घोषणा की। डीएम अभिषेक रूहेला ने कहा कि मेले मनोरंजन के साथ लोक संस्कृति को बढ़ावा देते हैं।।क्षेत्र की समस्याओं का त्वरित निधान की बात कही।