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अभिभावक और मित्र: धरना स्थल पर युवाओं के बीच पहुंचे सीएम धामी

देहरादून। उत्तराखंड में छात्र आंदोलन के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर अपने चिरपरिचित कूल अंदाज का परिचय देते हुए ग्राउंड जीरो पर जाकर संवाद की मिसाल पेश की। सोमवार दोपहर, परेड ग्राउंड में धरना दे रहे युवाओं के बीच पहुंचकर सीएम ने न केवल भर्ती प्रक्रिया को लेकर उनके मन में पनप रही शंकाओं को दूर किया, बल्कि अपने व्यवहार से यह संदेश भी दिया कि सरकार युवा शक्ति के साथ हमेशा खड़ी है।

मुख्यमंत्री धामी ने अपने संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली संबोधन की शुरुआत ही आंदोलनकारियों की कठिनाइयों को मान्यता देते हुए की। उन्होंने कहा कि युवा इस त्योहारी मौसम में इतनी गर्मी और कठिन परिस्थितियों के बावजूद आंदोलन कर रहे हैं, जिससे उन्हें भी व्यक्तिगत रूप से चिंता थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे यह संवाद उनके कार्यालय में भी हो सकता था, लेकिन युवाओं के बीच आना ही ज्यादा उपयुक्त और पारदर्शी तरीका था। इस दौरान वे एक मुख्यमंत्री के साथ-साथ युवाओं के अभिभावक और मित्र की भूमिका में भी नजर आए।

सीएम ने कहा कि वे जानते हैं कि उत्तराखंड के समाज में सरकारी नौकरी का महत्व क्या है। “उत्तराखंड के युवा सिर्फ पढ़ाई नहीं करते, बल्कि नौकरी के लिए पढ़ाई करते हैं। सरकारी नौकरी उनके जीवन के तमाम सपनों का आधार है। इसलिए हमारी सरकार किसी भी कीमत पर उनके सपनों को टूटने नहीं देगी।” इसी संकल्प के तहत वर्ष 2023 में उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया और पिछले चार वर्षों में रिकॉर्ड 25,000 नौकरियां प्रदान की गईं।

सीएम धामी ने युवाओं से भरोसे और पारदर्शिता के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस बार केवल एक शिकायत के आधार पर ही प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाएगी और इसके लिए उन्होंने बिना किसी सहयोगी को बताए सीधे युवाओं के बीच आकर अपना संकल्प व्यक्त किया। आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस लेने की घोषणा कर उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि युवाओं को एक अभिभावक की तरह सुरक्षित और भरोसेमंद भविष्य की गारंटी मिले।

इस पहल से मुख्यमंत्री धामी ने यह स्पष्ट कर दिया कि राजनीति में संवाद और भरोसा केवल शब्दों का मामला नहीं है, बल्कि जब नेता अपनी कार्रवाई और उपस्थिति से इसे सिद्ध करता है, तभी समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा बनती है। युवा और सरकार के बीच विश्वास का यह पुल उत्तराखंड की राजनीति में एक मिसाल के रूप में दर्ज होगा।

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