दून विश्वविद्यालय में नुक्कड़ नाटकों के जरिए नशा मुक्ति का संदेश

देहरादून। दून विश्वविद्यालय में नशा मुक्त भारत अभियान के तहत आज नशा मुक्ति एवं सांस्कृतिक प्रकोष्ठ तथा थिएटर विभाग के संयुक्त प्रयास से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से नशे के दुष्प्रभाव, रोकथाम और पुनर्वास के विकल्पों पर प्रभावशाली मंचन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दौरान दर्शक-भागीदारी संवाद भी हुआ, जिससे संदेश सीधे विद्यार्थियों और अभिभावकों तक पहुँचा। थिएटर विभाग के छात्रों ने स्थानीय भाषा और लोकशैली का उपयोग करते हुए वास्तविक जीवन के प्रसंगों को मंचित किया, जिनका दर्शकों पर गहरा प्रभाव पड़ा। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी और उनके परिजनों को नशे के खतरों से सचेत करना, पुनर्वास और सहायक सेवाओं की जानकारी देना तथा सामुदायिक जिम्मेदारी को मजबूत करना रहा।

कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा “विश्वविद्यालय एक सुरक्षित और सकारात्मक शैक्षिक माहौल सुनिश्चित करने का उत्तरदायी संस्थान है। नशा केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं बल्कि सामाजिक चुनौती है। इसलिए हमें कार्यशाला, नुक्कड़ नाटक और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से बचाव और पुनर्वास दोनों दिशाओं में समन्वित प्रयास करना होगा।” प्रो. रीना सिंह (समन्वयक, नशा मुक्त प्रकोष्ठ) ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य डराना नहीं, बल्कि जानकारी देना और विश्वास बनाना है। नुक्कड़ नाटक भावनात्मक व प्रभावी माध्यम हैं जो सीधे हृदय तक संदेश पहुँचाते हैं।
प्रो. एच.सी. पुरोहित (डीएसडब्ल्यू) ने कहा कि कैंपस-स्तर पर परामर्श और समयबद्ध हस्तक्षेप नशे की रोकथाम में बेहद कारगर हैं। डॉ. सुनीत नैथानी (खेल प्रभारी) ने बताया कि खेल, क्लब गतिविधियों और नियमित व्यायाम के जरिए छात्रों को नशे से दूर रखने के प्रयास और तेज किए जाएंगे।

इस अवसर पर डॉ. चेतन पोखरियाल, डॉ. अजीत पंवार, कैलाश कांडवाल सहित अन्य संकाय सदस्य उपस्थित रहे।नुक्कड़ नाटक प्रस्तुतियों में छात्रों अंजेश कुमार, राजेश भारद्वाज, ज्योत्सना इस्टवाल, सरिता भट्ट, विनीत पवार, सरिता बहुगुणा और सुनील सहित अनेक विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। इस अभियान में दूरसंचार विभाग का भी महत्वपूर्ण सहयोग रहा।
